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उत्तराखंड में इस बार बरसात में ज्यादा ही सतर्क रहने की जरूरत, वैज्ञानिकों ने बताया इसका कारण, पढ़िए

उत्तराखंड में इस बार बरसात में ज्यादा ही सतर्क रहने की जरूरत, वैज्ञानिकों ने बताया इसका कारण, पढ़िए

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by April 25, 2024 News

25 April. 2024. Dehradun. मौसम विभाग ने इस वर्ष मानसून सीजन में सामान्य से अधिक बारिश होने का पूर्वानुमान जताया है। मौसम विभाग के निदेशक डॉ. बिक्रम सिंह के अनुसार इसकी संभावनाएं साठ फीसदी से अधिक हैं, इसलिए सभी विभागों को इसे ध्यान में रखते हुए अभी से अपनी तैयारियां शुरू कर देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में भी सामान्य से अधिक वर्षा होने का पूर्वानुमान है।

गुरुवार को उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, यूएसडीएमए की ओर से मानसून की तैयारियों को लेकर विभिन्न विभागों के लिए आयोजित प्रशिक्षण शिविर में डॉ. बिक्रम सिंह ने कहा कि मौसम विभाग मौसम संबंधी जानकारियों को लेकर लगातार एलर्ट भेजता है। इसका अनुपालन किया जाए तो आपदाओं के प्रभावों को काफी हद तक कम किया जा सकता है तथा जानमाल के नुकसान में भी कमी लाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि मौसम विभाग द्वारा इम्पेक्ट बेस्ड पूर्वानुमान जारी किया जा रहा है, जिससे विभिन्न विभागों को समय रहते अपनी-अपनी तैयारियां करने का पर्याप्त समय मिल जाता है। उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा मौसम की रियल टाइम मॉनीटरिंग भी की जा रही है, जिससे काफी हद तक सटीक पूर्वानुमान लगाना संभव है।

मौसम विशेषज्ञ रोहित थपलियाल ने बताया कि मौसम विभाग की वेबसाइट पर मौसम की पल-पल की जानकारी मौजूद है और विभिन्न प्रसार माध्यमों से इन जानकारियों को लोगों तक पहुंचाया जा रहा है। साथ ही मौसम विभाग एलर्ट जारी करने के साथ ही क्या-क्या एहतियात बरते जाने चाहिए, इसकी भी जानकारी साझा करता है।

उत्तराखंड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र (यूएलएमएमसी) के निदेशक डॉ. शांतनु सरकार ने कहा कि राज्य में भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में बरसात के दौरान सतर्क रहने की जरूरत है। ऐसे सभी क्षेत्रों के लिए न्यूनीकरण एवं प्रबंधन उपायों में संबंधित विभाग तेजी लाएं। उन्होंने जल निकासी व्यवस्था को दुरुस्त करने, भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में आधुनिक तकनीक से रिटेनिंग वॉल बनाने तथा तारबाड़ करने, भूस्खलन क्षेत्रों की निगरानी तथा अर्ली वार्निंग जारी करने, रॉक फाल जोन की मैपिंग करने के संबंध में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में रोड पर शेल्टर्स ;एक तरह की सुरंगद्ध बनाना अच्छा विकल्प है। इससे मलबा शेल्टर के ऊपर गिरेगा और शेल्टर के नीचे यातायात सामान्य रूप से चलता रहेगा।

प्रशिक्षण शिविर में यूएसडीएमए के स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. विमलेश जोशी तथा मौसम विशेषज्ञ डॉ. पूजा राणा ने आकाशीय बिजली से बचाव के उपायों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि ,बिजली गिरने की घटना को गंभीरता से लेने की जरूरत है क्योंकि हर साल काफी संख्या में लोग आकाशीय बिजली की चपेट में आकर अपनी कीमती जिंदगी गवां देते हैं। उन्होंने बताया कि जब घर के अंदर हों तो बिजली के स्विच से प्लग निकाल दें। तार वाले फोन का प्रयोग कतई नहीं करें। जब बिजली कड़क रही हो, उस समय न तो नहाना चाहिए और न ही बर्तन धोने चाहिए। उन्होंने बताया कि जब घर से बाहर हों तो अधिक एहतियात बरतने की जरूरत है। किसी पेड़ के नीचे खड़े रहना या बिजली अथवा किसी अन्य पोल के सहारे खड़ा रहना खतरनाक हो सकता है। यदि बोटिंग या स्वीमिंग कर रहे हों तो पानी से बाहर आना जरूरी है। उन्होंने बिजली से घायल व्यक्ति को प्रथम सहायता (First Aid) प्रदान करने के उपायों के बारे में भी बताया। यूएसडीएमए के एसईओसी प्रभारी राहुल जुगरान ने मानसून तथा चारधाम यात्रा को लेकर विभाग की तैयारियों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि मानसून तथा चारधाम यात्रा को लेकर यूएसडीएमए पूरी तरह से तैयार है। इस दौरान प्रशिक्षण एवं क्षमता विकास विशेषज्ञ जेसिका टेरोन, आईईसी विशेषज्ञ मनीष भगत के अलावा सभी जिलों के डीडीएमओ, सीएमओ, लोक निर्माण विभाग, शिक्षा, वन, उद्यान, पंचायती राज विभाग, पिटकुल, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस विभाग आदि विभागों के अधिकारियों ने प्रतिभाग किया।

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