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सुप्रीम कोर्ट ने नैनीताल हाई कोर्ट की शिफ्टिंग को लेकर दिए गए हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाई

सुप्रीम कोर्ट ने नैनीताल हाई कोर्ट की शिफ्टिंग को लेकर दिए गए हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाई

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by May 24, 2024 News

24 May. 2024. Nainital/ New Delhi. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जारी अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में नैनीताल हाई कोर्ट की शिफ्टिंग को लेकर दिए गए हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट की अवकाशकालीन पीठ में इस मामले में शुक्रवार को सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा एवं न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने इस प्रकरण में सुनवाई करते हुए नैनीताल हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी। पीठ ने सभी पक्षकारों से जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा है। अब इस मामले में ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद विस्तार से सुनवाई होगी।

नैनीताल हाई कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से हाई कोर्ट के न्यायिक आदेश का विरोध किया गया। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से स्थगनादेश की खबर मिलते ही हाई कोर्ट के वकीलों में खुशी की लहर फैल गई। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पीएस नरसिम्हां व जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ में उत्तराखंड हाई कोर्ट बार एसोसिएशन की एसएलपी पर सुनवाई हुई। हाई कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से मामले में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता पीवीएस सुरेश बहस ने की। दिल्ली पहुंचे हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दिनेश रावत, महासचिव सौरभ अधिकारी व अधिवक्ता कार्तिकेय हरिगुप्ता ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट से हाईकोर्ट शिफ्टिंग मामले में पारित आदेश पर स्थगनादेश मिल गया है। दरअसल आठ मई को हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश ऋतु बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने हाई कोर्ट को नैनीताल से अन्यत्र शिफ्ट करने के मामले में अहम आदेश पारित किया था। जिसमें हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को शिफ्टिंग मामले में अधिवक्ताओं व वादकारियों से राय लेने के लिए पोर्टल बनाने के निर्देश दिए थे। कोर्ट ने कहा था कि यदि शिफ्टिंग का समर्थन करते हैं तो वे ‘हां’ और विरोध करते हैं तो ‘नहीं’ आनलाइन प्राथमिकता बता सकते हैं। नैनीताल से स्थानांतरित करने की मुख्य वजह वनों की रक्षा के लिए सर्वाेच्च न्यायालय के निर्देश को बताया गया था। कोर्ट ने मुख्य सचिव को पूरी प्रक्रिया एक महीने के भीतर पूरी करते हुए सात जून तक अपनी रिपोर्ट देने के निर्देश दिए थे। रजिस्ट्रार जनरल को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया था कि कि अपनी प्राथमिकता व्यक्त करने में रुचि रखने वाले अधिवक्ता और वादी 31 मई तक अपने विकल्प का प्रयोग करेंगे और यह तिथि आगे नहीं बढ़ाई जाएगी। रजिस्ट्रार जनरल की अध्यक्षता में एक समिति भी गठित करने को कहा गया, जिसमें विधायी और संसदीय मामलों के प्रमुख सचिव, प्रमुख सचिव ;गृहद्ध, दो वरिष्ठ अधिवक्ता, उत्तराखंड बार काउंसिल से एक सदस्य, इसके अध्यक्ष द्वारा नामित और बार काउंसिल ऑफ इंडिया से एक अन्य सदस्य होंगे।कमेटी को सात जून तक सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट सौंपनी है।

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