उत्तराखंड से नेपाल तक फिर भूकंप के झटके, वैज्ञानिकों का बड़े खतरे की ओर इशारा
22 Feb. 2023. Pithoragarh. उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में एक बार फिर से भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं, इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.4मापी गई है, भूकंप बुधवार लगभग 1 बजकर 30 मिनट पर आया,भूकंप का केंद्र नेपाल के जुमला में था! भूकंप के झटके भारत-चीन और नेपाल में भी महसूस किए गए हैं! आपको बता दें कि हाल ही में तुर्की मे आये विनाशकारी भूकंप के बाद उत्तराखंड में भी दहशत का माहौल है!
आपको बता दें कि भूकंप वैज्ञानिक डॉक्टर एन पूर्ण चंद्र राव ने चेतावनी देते हुए कहा कि उत्तराखंड पर एक बडे भूकंप का खतरा मंडरा रहा है, उन्होंने कहा कि भूकंप के लिहाज से उत्तराखंड बेहद संवेदनशील है!
दिल्ली से लेकर नेपाल तक बुधवार दोपहर में फिर धरती हिल गईं 4.8 थी तीव्रता के भूकम्प आया। भूकंप का केंद्र नेपाल में था। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 4.8 थी। भूकंप का असर दिल्ली-एनसीआर में भी देखने को मिला। हालांकि, यहां झटके काफी हल्के थे। नेपाल के जुमला से 69 किमी दूर इसका मुख्य केंद्र था, बता दें दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के झटके काफी हल्के थे, कहीं से जान माल के नुकसान की कोई सूचना सामने नहीं आई है।
दिल्ली एनसीआर में बुधवार दोपहर में भूकंप के झटके महसूस किए गए। बुधवार को दोपहर 1.30 बजे उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप की तीव्रता 4.4 थी। भारत में भूकंप का केंद्र पिथौरागढ़ से 143 किमी दूर जमीन के 10 किलोमीटर भीतर था।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, पूरा हिमालयी क्षेत्र भूकंप की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है और बड़े भूकंप की आशंका हमेशा बनी रहती है।
कई विशेषज्ञों को डर है कि उत्तराखंड उन भूकंपों की चपेट में आ सकता है, जिन्होंने पहाड़ी राज्य में पृथ्वी के नीचे दबी हुई ऊर्जा और तनाव की ओर इशारा करते हुए तुर्की और सीरिया को चपटा कर दिया है।
देहरादून के वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक कलाचंद सेन ने मंगलवार को कहा कि पहाड़ी राज्य के नीचे धरती के नीचे भारी मात्रा में ऊर्जा का निर्माण हुआ है और इसके निकलने से बड़े पैमाने पर भूकंप और तबाही होगी।
उत्तराखंड समेत पूरा हिमालय क्षेत्र बेहद संवेदनशील है। 1934 में बिहार-नेपाल सीमा पर 8 तीव्रता से अधिक (रिक्टर पैमाने पर) भूकंप आया था। 7.8 तीव्रता का एक और भूकंप 1905 में कांगड़ा क्षेत्र में आया था। हमारा उत्तराखंड इन दोनों के बीच के क्षेत्र में स्थित है, जिसे हम एक ‘सेंट्रल सिस्मिक कैप’ कहते हैं और इसे बहुत संवेदनशील माना जाता है।
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