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उत्तराखंड के नीरज ने पेश की मिसाल, फ्रांस से उच्च शिक्षा लेकर वापस आया गांव, शुरू किया स्वरोजगार

उत्तराखंड के नीरज ने पेश की मिसाल, फ्रांस से उच्च शिक्षा लेकर वापस आया गांव, शुरू किया स्वरोजगार

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by December 6, 2022 News

06 Dec. 2022. Champawat. चंपावत के पाटी ब्लॉक में स्थित सुदूर ग्राम करौली निवासी नीरज जोशी ने फ्रांस से उच्च शिक्षा ग्रहण कर अपनी पैतृक भूमि पर होमस्टे का निर्माण कर गांव में रोजगार के स्रोतों को विकसित कर रिवर्स माइग्रेशन की मिसाल कायम की. नीरज की प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा गोशन स्कूल नानकमत्ता व जवाहर नवोदय विद्यालय रुद्रपुर एवं उच्च शिक्षा डी०एस०बी० कैंपस नैनीताल (B.Sc.), पंतनगर विश्विद्यालय पंतनगर (M.Sc.) एवं मोंटपेलियर सुपएग्रो फ्रांस (M.S.) से हुई.

नीरज ने अधिकांश समय महानगरों की चकाचोंद में बिताने के पश्च्यात, 30 वर्षों से पूर्वजों द्वारा छोड़ी गयी बंजर भूमि को आबाद करने का निर्णय लिया. विगत तीन वर्षों से लगातार विभिन्न विभागों के सहयोग से, वे कृषि सम्बंधित कार्यों का विश्लेषण कर आय के स्रोतों का लाभ ग्रामीणों को साझा कर पहाड़ों से हो रहा पलायन को रोकने का अथक प्रयास कर रहे हैं. कृषि विद्यार्थी होने के नाते वे गांव में कृषकों को आय बढ़ाने हेतु स्मार्ट एग्रीकल्चर, मिक्स एग्रीकल्चर, औषधियों की खेती, आदि की जानकारी भी साझा करते हैं.

होमस्टे निर्माण की प्रेरणा फ्रांस में अध्ययन करते समय, अवकाश के दौरान एग्रो-टूरिज्म सम्बंधित स्थानों में  भ्रमण करने से मिली जिसको वतन वापिसी पर अमल किया. होमस्टे निर्माण से ग्रामवासियों में रोज़गार की अपार संभावनाएं बढ़ी हैं जिसके फलस्वरूप विगत तीन वर्षों से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 200 लोगों को रोजगार मिला.

एग्रो-टूरिज्म थीम पर आधारित होमस्टे पर प्रथम अतिथि फ्रांस से आये पर्यटक क्लोय एवं सिंथिया ने रात्रि प्रवास किया एवं गांव का भ्रमण भी किया.  विदेशी पर्यटकों को सामाजिक सेवा के लिए प्रेरित कर गांव में कम्बल वितरण भी करवाया जिससे प्रेरित होकर उन्होंने भविष्य में भी सामाजिक सेवा करने की इच्छा जाहिर की. यह अवगत करवाना चाहेंगे कि ग्राम करौली में रोड आये अभी 3 वर्ष ही हुए हैं, जिसमे डामरीकरण होना बाँकी है.

नीरज का कहना है कि पहाड़ों से पलायन रोकने के लिए युवाओं को पहाड़ों में स्वरोजगार के स्रोत विकसित करने होंगे जिससे उत्तराखंड की छवि का पर्यटन के नजरिये से वैश्विक स्तर पर भी सुधार होगा. उनका मानना है कि भगौलिक एवं जलवायु परिस्थितयों के अनुरूप कृषि जैसे कि बेमौसमी सब्ज़ियां, औषधीय व सुगन्धित पौधे, फल, आदि का उत्पादन पर्यटन गतिविधियों के साथ पलायन रोकने व रोजगार बढ़ाने में अत्यधिक सहायक होगा.  उक्त क्रियाकलापों में मार्गदर्शन हेतु उनके चाचा सुरेश जोशी जी,अग्रज राकेश जोशी व कार्यों में समस्त ग्रामवासियों का विशेष सहयोग रहा.

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