जोशीमठ : बदरीनाथ हाईवे भी धंसने लगा, कुल देवता का मंदिर भी गिरा, लगातार बढ़ रहा है खतरा
7 Jan. 2023. Joshimath. जोशीमठ में हालात लगातार खराब होते जा रहे हैं, यहां सैकड़ों घरों में और खेतों में आई दरार के बाद अब इस इलाके से गुजरने वाले बद्रीनाथ हाईवे में भी दरार दिखने लगी है। चीन सीमा को जोड़ने वाली सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इस सड़क में दरार आने के कारण चिंता काफी बढ़ गई है।
वही जोशीमठ के सिंहधार में लगातार दरारें आने के कारण स्थानीय लोगों के कुलदेवता का एक मंदिर भी शुक्रवार शाम को धराशाई हो गया। इस इलाके में 50 से ज्यादा मकानों में दरारें आ चुकी हैं और वहीं जमीन लगातार धंस रही है। पूरे जोशीमठ इलाके में अभी तक 584 मकान, होटल इसकी जद में आ चुके हैं। आपदा प्रबंधन विभाग का कहना है कि जोशीमठ की स्थिति चिंताजनक है।
जोशीमठ में भू-धंसाव की समस्या के दृष्टिगत जिला प्रशासन ने बीआरओ के अन्तर्गत निर्मित हेलंग बाई पास निर्माण कार्य, एनटीपीसी तपोवन विष्णु गाड़ जल विद्युत परियोजना के अन्तर्गत निर्माण कार्य एवं नगरपालिका क्षेत्रान्तर्गत निर्माण कार्यो पर अग्रिम आदेशों तक तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। साथ ही जोशीमठ-औली रोपवे का संचालन भी अग्रिम आदेशों तक रोका गया है।
जोशीमठ के वर्तमान हालात को देखते हुए सरकारें भी पूरी तरह से सक्रिय हो गई हैं, यहां उच्चाधिकारियों और वैज्ञानिकों ने डेरा डाला हुआ है, प्रभावित लोगों के वैकल्पिक पुनर्वास की व्यवस्था की जा रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को सचिवालय में जोशीमठ शहर के भू धंसाव से प्रभावित संकटग्रस्त परिवारों के पुनर्वास की वैकल्पिक व्यवस्था एवं भूधंसाव के कारणों आदि के संबंध में उच्चाधिकारियों के साथ समीक्षा की। उन्होंने कहा कि संकट की इस स्थिति में जानमाल की सुरक्षा एवं बचाव पर ध्यान देने की जरूरत है। ऐसे समय में लोगों की मदद करना हम सबका दायित्व एवं जिम्मेदारी है। मुख्यमंत्री ने इस स्थिति में लोगों में भरोसा बनाये रखने की भी बात कही। उन्होंने प्रभावित क्षेत्रों में रह रहे लोगों के पुनर्वास तथा उन्हें अन्यत्र शिफ्ट करने में भी तेजी लाये जाने को कहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम प्रभावितों को बेहतर से बेहतर क्या मदद कर सकते हैं इस पर ध्यान दिया जाए।
वहीं केंद्र सरकार के जल शक्ति मंत्रालय की तरफ से भी इस मामले को लेकर एक कमेटी गठित की गई है, कमेटी में पर्यावरण और वन मंत्रालय, केंद्रीय जल आयोग, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और स्वच्छ गंगा मिशन के एक्सपर्ट को शामिल किया गया है, केंद्र सरकार की ओर से गठित जांच समिति तेजी से जमीन धंसने की घटना का अध्ययन करेगी और 3 दिन में यह रिपोर्ट सौंपेगी। जल शक्ति मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि समिति बस्तियों, इमारतों, हाईवे, बुनियादी ढांचे और नदी प्रणाली पर भू धंसाव के प्रभावों का पता लगाएगी।
वहीं इस सब के बीच जोशीमठ इलाके में भूधंसाव को लेकर 1976 में तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से गढ़वाल कमिश्नर की अध्यक्षता में बनी एक कमेटी की रिपोर्ट और संस्तुतियां इस वक्त सुर्खियों में हैं, इस कमेटी में प्रसिद्ध पर्यावरणविद् चंडी प्रसाद भट्ट भी मौजूद थे। यह कमेटी इस समय अलकनंदा नदी के बाढ़ के कारण इस इलाके में भू धंसाव को लेकर बनाई गई थी, कमेटी के द्वारा विस्तृत अध्ययन करने के बाद इस इलाके के लिए कई सिफारिशें की गई थीं, जिसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। कमेटी की सिफारिशों के आधार पर तब से अगर काम किया गया होता तो आज यह दिन नहीं देखने पड़ते।
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