उत्तराखंड से यूपी तक मच सकती है भारी तबाही, इस जिले में ग्लेशियर पिघलने से बनीं 77 झीलें
3 March. 2023. Pithoragarh. उत्तराखंड के उच्च हिमालई इलाकों में ग्लोबल वार्मिंग का असर साफ दिखने लगा है, उच्च हिमालई इलाकों में मौजूद ग्लेशियर लगातार पिघल रहे हैं और सिकुड़ रहे हैं, ग्लेशियरों के पिघलने की दर काफी बढ़ चुकी है। एक वैज्ञानिक शोध में पता चला है कि उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के उच्च हिमालय इलाके में गोरी गंगा घाटी में ग्लेशियरों के पिघलने के कारण 77 झीलें बन चुकी हैं, इनमें कई झीलें काफी बड़ी हैं, भूगर्भीय हलचल के कारण अगर यह टूटती हैं तो इसका असर उत्तराखंड से लेकर उत्तर प्रदेश तक दिखाई देगा।
कुमाऊं विश्वविद्यालय के डीएसबी परिसर के भूगोल विभाग के डॉ डीएस परिहार ने 2017 से लेकर अब तक यहां मौजूद ग्लेशियरों का लगातार अध्ययन किया है, डॉ परिहार के अध्ययन में साफ हो चुका है कि गोरी गंगा क्षेत्र के मिलम, गोंखा, रालम, ल्वां एवं मर्तोली ग्लेशियर सहित अन्य सहायक ग्लेशियर भी ग्लोबल वार्मिंग के कारण लगातार सिकुड़ रहे हैं और सामान्य दर से ज्यादा तेजी से पिघल रहे हैं।
आधुनिक तकनीक और सेटेलाइट की मदद से डॉ. परिहार ने यह पता लगाया है कि इस क्षेत्र में अभी तक लगभग 77 झील बन चुकी हैं और नई झीलों के बनने की प्रक्रिया लगातार जारी है। इस इलाके में ग्लेशियर के पिघलने की दर भी काफी बढ़ गई है, आपको बता दें कि गोरी नदी आगे काली नदी से मिलने के बाद भारत और नेपाल की सीमा से होते हुए उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी इलाके की ओर चली जाती है।
पिछले कुछ सालों में गोरी नदी के कारण पिथौरागढ़ जिले के मुंनस्यारी तहसील के इलाके में काफी तबाही देखी गई है, यहां नदी के कारण भू कटाव काफी बढ़ गया है, कई लोग अपने गांव से विस्थापित हो चुके हैं, जिला प्रशासन की ओर से भी इस इलाके को संवेदनशील इलाके में रखा गया है।
भविष्य में भूकंप या किसी और भूगर्भीय हलचल के कारण इस इलाके में मौजूद झीलें अगर टूटती हैं तो भारी तबाही मच सकती है, इसका असर उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले से लेकर उत्तर प्रदेश के कई जिलों तक दिखाई देगा। फोटो Representative only.
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