उत्तराखंड – सरकारी स्कूलों की ये हकीकत हैरान करेगी आपको, निजी स्कूल यूं ही नहीं काटते चांदी
प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पांचवीं कक्षा में पढ़ने वाले करीब आधे बच्चे दूसरी कक्षा की किताब तक नहीं पढ़ पाते। वहीं, आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले करीब 20 फीसदी बच्चे भी कक्षा दो की किताब को नहीं पढ़ सकते। एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (असर) 2018 में प्रदेश की बदहाल शिक्षा व्यवस्था की यह तस्वीर सामने आई है।
प्रदेश के 286 प्राथमिक और 10 उच्च प्राथमिक विद्यालयों का सर्वे करने के बाद रिपोर्ट तैयार की गई है। रिपोर्ट के अनुसार 7320 परिवारों के तीन से 16 वर्ष आयु के 10145 बच्चों को सर्वे में शामिल किया गया।
रिपोर्ट के अनुसार सरकारी स्कूल में पांचवीं कक्षा में पढ़ने वाले करीब 42 फीसदी बच्चे कक्षा दो की हिंदी की किताब तक नहीं पढ़ सकते। वहीं, कक्षा आठ के केवल 81 फीसदी बच्चे ही दूसरी कक्षा की किताब पढ़ने में सक्षम हैं। कक्षा तीन के केवल 19 फीसदी छात्र ही घटाना जानते हैं।
पांचवीं कक्षा के 26 फीसदी छात्र ही भाग देना जानते हैं। वहीं, आठवीं कक्षा के 27 फीसदी छात्र 10 से 99 के बीच की संख्या तक नहीं पहचानते। 21 फीसदी छात्र घटाना और 48 फीसदी भाग देना तक नहीं जानते। 14 से 16 वर्ष आयु वर्ग के 67 फीसदी छात्र समय की गणना नहीं कर सकते।
18 फीसदी छात्र मिले अनुपस्थित
रिपोर्ट के अनुसार सर्वे वाले दिन विद्यालयों में 18 फीसदी छात्र अनुपस्थित मिले। वहीं, इसी दिन करीब 14 फीसदी शिक्षक भी स्कूलों में नहीं मिले। पिछले आठ सालों में इस आंकड़े में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं हुआ है।
90 फीसदी स्कूलों में कंप्यूटर नहीं
रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के 90 फीसदी स्कूलों में बच्चों के उपयोग के लिए कंप्यूटर उपलब्ध नहीं है। वहीं, 9 फीसदी स्कूलों में कंप्यूटर मौजूद तो थे, लेकिन सर्वे के दिन बच्चे उनका उपयोग नहीं कर रहे थे। एक फीसदी से भी कम बच्चे कंप्यूटरों का इस्तेमाल करते हुए मिले।
कई जगह नहीं बना मध्याह्न भोजन
रिपोर्ट के अनुसार सर्वे वाले दिन करीब 12 फीसदी स्कूलों में मध्याह्न भोजन नहीं बना। वहीं, 13 फीसदी स्कूलों में पीने का पानी, करीब दो फीसदी स्कूलों में शौचालय की सुविधा उपलब्ध नहीं थी। 12 फीसदी स्कूलों में शौचालय है, लेकिन उनका उपयोग नहीं हो रहा था। करीब 23 फीसदी स्कूलों में महिला शौचालय का इस्तेमाल नहीं हो रहा था।
लाइब्रेरी में नहीं मिले बच्चे
करीब 15 फीसदी स्कूलो में लाइब्रेरी नहीं थी। वहीं, करीब 58 फीसदी स्कूलों में लाइब्रेरी तो थी, लेकिन बच्चे उसका उपयोग नहीं कर रहे थे। केवल 26 फीसदी स्कूलों की लाइब्रेरी में ही बच्चे मिले। करीब 26 फीसदी स्कूलों में बिजली कनेक्शन तो हैं, लेकिन वहां सर्वे वाले दिन बिजली नहीं थी। ( साभार-अमर उजाला)
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