उत्तराखंड की बेटी ने फहराया पृथ्वी के दक्षिण ध्रुव में झंडा, यहां जाने वाली भारत की पहली महिला युवा सर्वेयर बनीं
देहरादून की रहने वालीं पायल आर्य ने युवाओं के लिए इतिहास रचा है, वो अंटार्कटिका में भारत के 38 में वैज्ञानिक अभियान में महिला सदस्य के रूप में शामिल हुईं, ऐसा करने वाली वो भारत की पहली युवा वैज्ञानिक हैं ।
अपने सोशल मीडिया अकाउंट में अंटार्कटिक की शांति की तारीफ करते हुए पायल ने इस अभियान से जुड़े कई फोटोग्राफ पोस्ट किए हैं ।
पायल आर्य लिखती हैं कि यहां आकर तिरंगे के लिए काम करना है और तिरंगे का सम्मान करना वाकेई एक अलग अनुभव है।
हिंदुस्तान अखबार में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार उनकी यात्रा 27 नवंबर को मुंबई से शुरू हुई, जहां से वह केपटाउन (दक्षिण अफ्रीका) होते हुए दो दिसंबर को अंटार्कटिका पहुंचीं। वह हाल ही में अभियान पूरा कर दून वापस लौटी हैं। उनके साथ देहरादून के ही ऑफिसर सर्वेयर संदीप तोमर, आईआरएस से सुब्रत कौशिक, डील से अशोक चौधरी और विट ओपन समेत देशभर के 40 वैज्ञानिक भी अभियान में शामिल रहे। दून के शमशेरगढ़ (बालावाला) में रहने वाली पायल के पिता रिटायर्ड सूबेदार मेजर पीएल आर्य ने सेना के बाद इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम (आईआईपी) में सेवाएं दीं। वह आईआईपी से भी रिटायर हो चुकी हैं। जबकि पायल की माता सुनीता आर्य गृहणी हैं।
आपको बता दें कि अंटार्कटिक यानिकी पृथ्वी के दक्षिण ध्रुव में भारत का अपना शोध केंद्र मैत्री है और इसी केंद्र पर देश की ओर से कुछ – कुछ समय पर वैज्ञानिकों के दल भेजे जाते हैं।
मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ एंड साइंस की ओर से हर साल अंटार्कटिका में वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए एक्सपीडिशन का आयोजन किया जाता है। इसमें देशभर के संस्थानों के वैज्ञानिक शामिल होते हैं। पायल ने मौसम के हिसाब से बेहद कठिन माने जाने वाली अंटार्कटिका अभियान में सर्वे ऑफ इंडिया के लिए मैत्री स्टेशन में कंटूर मैपिंग, जीपीएस मैपिंग जैसे कामों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।
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Mirror News