उत्तराखंड : हरक और हरीश रावत के बीच नई कैमिस्ट्री, क्या ये राज्य में नये समीकरणों का संकेत है ?
उत्तराखंड के वन मंत्री हरक सिंह रावत अब जो कदम उठाने जा रहे हैं इसे बीजेपी के लिए एक अच्छा संकेत नहीं कहा जा सकता, स्थानीय मीडिया को दिये एक बयान में डॉ. हरक सिंह रावत, कैबिनेट मंत्री का कहना है कि स्टिंग की जांच सीबीआई से कराने की पूर्व याचिका को वापस लेने के लिए बातचीत चल रही है। जब मैं याचिका वापस ले लूंगा तो केस अपने आप ही खत्म हो जाएगा। यह तो राजनीतिक लड़ाई थी, जो फायदा मिलना था, वह अब मिल चुका है।
दरअसल 26 मार्च, 2016 को तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत का स्टिंग एक टीवी चैनल पर प्रसारित होने के बाद उत्तराखंड की सियासत में भूचाल आ गया था। तत्कालीन कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर स्टिंग की सीबीआई से जांच कराने का आग्रह किया था।
याचिका वापस लेने पर अखबार दैनिक जागरण को दी गई जानकारी में हरीश रावत, पूर्व मुख्यमंत्री का कहना है कि मुझे केस वापस लिए जाने संबंधी मामले की जानकारी नहीं है। वैसे भी यह विषय न्यायपालिका के विचाराधीन है। वहीं कानून विशेषज्ञों का मानना है कि सीबीआइ इस केस में मुकदमा दर्ज कर चुकी है, उसकी जांच चल रही है। अब हरक सिंह रावत यदि अपने पूर्व के प्रार्थना पत्र को वापस भी लेते हैं तो इसका कोई औचित्य नहीं रह जाता, क्योंकि इसमें मुकदमा दर्ज हो चुका है। वहीं सीबीआई ने दर्ज रिपोर्ट में साफ उल्लेख किया कि हरक सिंह और उमेश शर्मा ने ही हरीश रावत के स्टिंग की साजिश रची थी, हरक का नाम आने से बीजेपी भी असहज है, ऐसे में अब हरक सिंह रावत की ओर से हरीश रावत के खिलाफ याचिका वापस लेने को दोनों के बीच में बढ़ती हुई नज़दीकियों के तौर पर देखा जा रहा है।
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