पुलवामा हमले के मास्टरमाइंड को मारकर शहीद हुए थे मेजर ढोंडियाल, रात का खाना छोड़कर निकले थे ऑपरेशन पर
उत्तराखंड के जांबाज सेना अधिकारी मेजर विभूति ढोंडियाल पुलवामा हमले के मास्टरमाइंड कामरान गाजी को मारकर जम्मू कश्मीर के पुलवामा में शहीद हो गए। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई और उनके पार्थिव शरीर को अग्नि को समर्पित कर दिया गया। इस सब के बीच में मेजर के अदम्य साहस और बहादुरी की जो जानकारियां आ रही हैंं वो आपको गर्व से भर देंगी।
सेना के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार मुठभेड़ के दौरान मेजर ढौंडियाल अपनी टीम के साथ उस घर की तलाशी लेने जा रहे थे, जहां पर पुलवामा सीआरपीएफ बस ब्लास्ट के मास्टर माइंड अब्दुल राशिद गाजी समेत एक अन्य आतंकवादी छुपा हुआ था।
सोमवार देर रात जैसे ही 55 राष्ट्रीय राइफल को सूचना मिली कि मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल आतंकवादियों को ढेर करने के लिए अपनी टीम के साथ निकल पड़े हैं, 5 आरआर के साथ ही सीआरपीएफ और एसओजी की टीम भी मौके के पास पहुंच गई। रात लगभग 12 बजकर 55 मिनट पर सेना ने ऑपरेशन शुरू किया तो आतंकवादियों ने गोलीबारी शुरू कर दी। टीम का नेतृत्व कर रहे मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल के गले और सीने में गोली लग गई। मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल और उनकी टीम ने आतंकवादियों को मुंहतोड़ जवाब देते हुये मशीन गनों से फायर खोल दिया। इसमें दो आतंकवादियों की मौत हो गई। आतंकवादियों में पुलवामा हमले का मास्टर माइंड अब्दुल राशिद गाजी भी ढेर हो गया। उधर, जख्मी मेजर विभूति को नजदीक के सैन्य अस्पताल पहुंचाया गया। वहां से उन्हें श्रीनगर मिलिट्री अस्पताल को रेफर किया गया। रात दो बजकर बीस मिनट पर उन्होंने अंतिम सांस ली।
हिंदुस्तान अखबार में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार मेजर विभूति ढौडियाल की पार्थिव देह लेकर कश्मीर से उनकी बटालियन के जगदीश सिंह और लक्ष्मण सिंह देहरादून आए। दोनों कहते हैं कि उन्होने कभी भी ड्यूटी के दौरान अफसर होने का अहसास नहीं होने दिया। बताते हैं कि कल रात बस खाना खाने के लिए बैठे ही थे। अचानक कॉल आई और फिर आपरेशन में चले गए। लक्ष्मण कहते हैं कि मैं भी साथ जा रहा था, लेकिन उन्होंने मुझे दूसरी टीम में भेज दिया। जगदीश सिंह और लक्ष्मण सिंह दोनों ही पिथौरागढ़ के रहने वाले हैं।
देहरादून में निकाली गई अंतिम यात्रा, पत्नी ने कहा आई लव यू विभू
पुलवामा हमले के मास्टरमाइंड कामरान गाजी को मारकर शहीद हुए मेजर विभूति ढोंडियाल की देहरादून में अंतिम यात्रा निकाली गई। अंतिम यात्रा से पहले उनके निवास स्थान पर उनके परिवारजनों और प्रदेश के गणमान्य लोगों ने उनके पार्थिव शरीर को पुष्पांजलि अर्पित कर अलविदा कहा।
इस मौके पर मेजर विभूति की पत्नी ने माहौल को भावुक कर दिया, वो पार्थिव शरीर के पास कुछ क्षण खड़ी रहीं और उन्होंने कहा आई लव यू विभू। अंतिम यात्रा के वक्त माहौल गमगीन जरूर था, लेकिन इस यात्रा में शामिल होने वाले राज्य के लोगों में गर्व भी था। अंतिम यात्रा में शामिल एक युवा और एक बुजुर्ग का कहना था कि आतंकवादी अगर हमारे 1 जवान को शहीद करेंगे तो हम उनसे लड़ने के लिए फौज में 100 जवान भेजेंगे। आपको यह भी बता दें कि शहीद होने से पहले मेजर विभूति नौटियाल ने पुलवामा हमले के मास्टरमाइंड कामरान गाजी का काम तमाम किया।
शहीद मेजर के घर में उनकी दादी, मां और पत्नी हैंं, मेजर ढोंडियाल की शादी सिर्फ 1 साल पहले हुई थी, उन्होंने एक कश्मीरी पंडित से शादी की थी। मेजर 2 महीने पहले अपने घर भी आए थे। शहीद मेजर अपने घर के इकलौते पुत्र थे, उनकी तीन बड़ी बहन हैं। उनका आवास देहरादून के चुक्कुवाला में है। शहादत की खबर के बाद से परिवार में मातम पसरा हुआ है। शहीद मेजर का संबंध 55 राष्ट्रीय रायफल्स से है।
दरअसल पुलवामा के पिंगलान इलाके में आधी रात से एनकाउंटर चल रहा था, जिसमें सेना 11 घंटे तक चले एनकाउंटर में दो आतंकियों को मारा, इसमें पुलवामा हमले का मास्टरमाइंड गाजी भी शामिल था। उसके अलावा यहां जैश का एक और कमांडर हिलाल अहमद भी मारा गया है। उसी जगह पर मुठभेड़ के दौरान 4 सैनिक शहीद हो गए जिसमें एक मेजर ढोंडियाल भी हैं। सूत्रों के अनुसार कश्मीर के आतंकवादियों में मेजर ढोंडियाल को लेकर काफी खौफ था। खुद 55 राष्ट्रीय राइफल में उन्हें खतरनाक ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए जाना जाता था।
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Mirror News