पहाड़ी ककड़ी और गेठी की दावत से पीछे हटे पूर्व सीएम हरीश रावत, शनिवार को देहरादून में होना था आयोजन
तरह-तरह के पहाड़ी व्यंजनों की पार्टियों के बाद अब पूर्व सीएम हरीश रावत पहाड़ी ककड़ी और गेठी की दावत देने की सोच रहे थे लेकिन वो अचानक इस दावत से पीछे हट गए। विधायकों की खरीद फरोख्त के स्टिंग को लेकर सीबीआइ जांच के शिकंजे में आए वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत 28 सितंबर को देहरादून में ये दावत आयोजित कर रहे थे। प्रदेश कांग्रेस में मतभेदों की तमाम चर्चाओं के बावजूद पिछले दिनों स्टिंग प्रकरण में नैनीताल हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई से पहले पार्टी पूरी तरह उनके पीछे खड़ी नजर आई थी।
आगामी शनिवार को हरीश रावत पहाड़ी ककड़ी की दावत आयोजित कर रहे थे। इसका जिक्र उन्होंने सोशल मीडिया में पोस्ट कर भी किया था। इससे पहले हरीश रावत आम, काफल और तरह-तरह के पहाड़ी व्यंजनों की पार्टी के लिए प्रसिद्ध रहे हैं। रावत के मुताबिक पहाड़ी ककड़ी और रायता के अलावा इसमें मेहमानों का परिचय उच्च हिमालयी क्षेत्र में पाई जाने वाली गेठी (एक तरह का कंद) से भी कराया जाना था। इन्हें उबाल कर खाया जाता है। इसके ठीक 24 घंटे बाद उन्होंने रायते पर सोशल मीडिया में एक लंबा लेख लिखते हुए इस साल नहीं बल्कि अगले साल पार्टी देने की बात कही है।
इस तरह की पार्टियों का आयोजन कर हरीश रावत उत्तराखंड की सियासत में अपनी उपस्तिथि दर्ज कराते रहते हैं, हालांकि रावत सक्रिय राजनीति से संन्यास की घोषणा कर चुके हैं लेकिन कांग्रेस महासचिव की जिम्मेदारी के साथ-साथ उत्तराखंड की राजनीति में समय-समय पर धमक देने से उनके समर्थक उनकी सक्रियता को लेकर असमंजस में रहते हैं।
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