पहाड़ के बड़े पर्यावरणविद की चेतावनी, संभल जाओ नहीं तो आएगी केदारनाथ से बड़ी आपदा
उत्तराखंड के बड़े पर्यावरणविद और पद्म पुरस्कार से सम्मानित चंडी प्रकाश भट्ट का कहना है कि जिस तरह से उत्तराखंड में पारिस्थितिकी की कीमत पर विकास हो रहा है वो आने वाले समय में केदारनाथ से भी बड़ी आपदा को आमंत्रित कर सकता है। उन्होंने कहा कि हिमालय पृथ्वी का सबसे संवेदनशील क्षेत्र है। इस क्षेत्र में बिना प्रबंधन के विकास कार्य आगे बढ़ाना पूरे जीव जगत के लिए घातक हो सकता है। गढ़वाल विश्व विद्यालय के पौड़ी परिसर में भूगोल विभाग की ओर से ‘हिमालय, पर्यावरण एवं विकास’ विषय पर दो-दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार में पद्म विभूषण चंडी प्रसाद भट्ट ने कहा कि पहाड़ में पहले बाघ और भालू का भय होता था, लेकिन अब भूस्खलन खौफ पैदा कर रहा है। पर्यावरण मानकों की अनदेखी कर पहाड़ी क्षेत्रों में विकास को मूर्तरूप देना काफी खतरनाक है, अगर हिमालय में गड़बड़ी हुई तो पूरे देश को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
इस मौके पर पर्यावरणविद् जगत सिंह जंगली, मैती आंदोलन के कल्याण सिंह रावत, विवि की कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल, प्रो. एसके बंसल (रोहतक), प्रो. बीएल तेली (अजमेर), प्रो. वीपी सती (मिजोरम), प्रो. वैंकट सुब्रमण्यम (तमिलनाडु), प्रो. बीसी वैद्य (दिल्ली) उपस्थित थे।
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