उत्तराखंड : कुत्ते-बंदरों से बच के रहें, काटने पर राज्य में नहीं हो पाएगा इलाज, जान पर बन आएगी आपकी
ये एक हैरान कर देने वाली खबर है कि उत्तराखंड में अगर आपको कुत्ता या बंदर काट ले तो इस वक्त पूरे राज्य में इसका इलाज नहीं हो सकता है। दरअसल किसी को अगर कुत्ते या बंदर ने काट लिया है तो 72 घंटे के अंतराल में एंटी रेबीज वैक्सीन लगानी जरूरी है। अगर इंजेक्शन नहीं लगवाया जाता है तो मरीज रेबीज रोग की चपेट में आ सकता है। ऐसा होने के बाद रेबीज का कोई इलाज उपलब्ध नहीं हैं।
लेकिन उत्तराखंड में अगर आपके साथ यह घटना घट जाती हैं तो आपके लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है, क्योंकि यहां के अस्पतालों में एंटी रेबीज वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों के साथ ही मेडिकल स्टोरों पर भी इंजेक्शन नहीं मिल रहे हैं। उत्तराखंड के कई जिलों में आवारा कुत्तों का प्रकोप है और कुत्तों के काटने से घायल हुए लोग हर रोज अस्पतालों में पहुंचते हैं। अल्मोड़ा जिले का उदाहरण ही लीजिए, जिला अस्पताल में रोजाना औसतन 10 लोग एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाने पहुंचते हैं। इस माह अब तक कुत्ते और बंदर 150 से अधिक लोगों को काट चुके हैं। जिला अस्पताल में कुछ दिन पहले 200 वैक्सीन आई थी जो अब खत्म हो चुकी हैं।
ऐसे ही हालात प्रदेश के दूसरे अस्पतालों के हैं, राजधानी देहरादून तक के निजी और सरकारी अस्पतालों में यह वैक्सीन उपलब्ध नहीं है और न ही दवाओं की दुकानों में यह उपलब्ध है। दरअसल मई से प्रदेश में इस वैक्सीन की खेप नहीं आ रही है। बताया जा रहा है कि गाजियाबाद में इस वैक्सीन को बनाने वाली कंपनी है जिसमें कुछ दिनों पहले छापा पड़ा था। जिसके बाद कंपनी ने वैक्सीन का उत्पादन बंद कर दिया। प्रदेश स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि ” राज्य के सरकारी अस्पतालों में एंटी रेबीज वैक्सीन की उपलब्धता नहीं है। हमने जिले के सभी सीएमओ को निर्देश दिये हैं कि वो बाहर कहीं से भी ये वैक्सीन खरीद सकते हैं। “
आपको बता दें कि जानवर जैसे कुत्ता, बंदर, सुअर, चमगादड़ आदि के काटने से जो लार व्यक्ति के खून में मिल जाती है, उससे रेबीज नामक बीमारी होने का खतरा रहता है। रोगी के मानसिक संतुलन को खराब कर देता है। रोगी का अपने दिमाग पर कोई संतुलन नहीं होता है। किसी भी चीज को देख कर भड़क सकता है। खासकर हाइड्रोफोबिया से पीड़ित हो जाता है।
ऐसे में पूरे प्रदेश में इस वैक्सीन का खत्म हो जाना राज्य के लोगों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। फिलहाल राज्य में ऐसी स्थिति आने पर मरीजों को दिल्ली, चंडीगढ़ या राज्य के बाहर बड़े शहरों में भेजा जा रहा है।
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