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उत्तराखंड : केंद्र के दिए 65 करोड़ को हवा में उड़ाने में तुली राज्य सरकार, लोगों में आक्रोश

उत्तराखंड : केंद्र के दिए 65 करोड़ को हवा में उड़ाने में तुली राज्य सरकार, लोगों में आक्रोश

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by June 23, 2019 News

पिछले कुछ सालों में किसानों के मुद्दे हर चुनाव के केंद्र में रहे हैं, सरकारों ने जहां किसानों के लिए नई-नई योजनाओं की घोषणाएं की हैंं वहीं केंद्र सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का दावा कर रही है, लेकिन उत्तराखंड में केंद्र सरकार के इस लक्ष्य को यहां की राज्य सरकार पलीता लगा रही है।

किसानों की आय दोगुना करने के मिशन के तहत केंद्र सरकार ने राज्य के लिए परंपरागत कृषि विकास योजना को स्वीकृति दी है। दैनिक जागरण अखबार की एक रिपोर्ट के अनुसार इस योजना के तहत परंपरागत किसानों के 39 सौ कलस्टर बनाए जा चुके हैं। हर कलस्टर में 50 किसान जोड़े गए हैं। प्रत्येक कलस्टर को एक साल में छह लाख रुपये बीज, खाद, दवा और प्रशिक्षण के लिए दिए जाने हैं। कृषि निदेशालय का कहना है कि पहली किश्त के रूप में 131 करोड़ स्वीकृति हुए थे। इसमें 65 करोड़ से विभिन्न कंपनियों के मार्फत निविदा से किट की खरीदारी हुई है। किट सभी कलस्टर में बांटी जा चुकी हैं। मगर, प्रशिक्षण देने वाली संस्था का शेड्यूल अभी तय नहीं हुआ है। खरीफ की फसल की बुआई को महज एक माह शेष है। ऐसे में कब प्रशिक्षण दिया जाएगा और कब फसल तैयार की जाएगी, इसे लेकर किसान चिंतित हैं। 

आपको बता दें कि इस किट में कृषि एवं उद्यान विभाग ने जैव उर्वरक, जैव रसायन, नीम ऑयल, वर्मी कंपोस्ट बनाने के उपकरण और स्प्रे मशीनें आदि शामिल की गई हैं। लेकिन किसानों को इन सब का उपयोग कैसे करना है इसकी कोई जानकारी नहीं है, इसी कारण किसानों ने अपने घर में इस किट को संभाल कर रखा हुआ है जो सिर्फ शोपीस बन गई है। कई किसान खरीफ की खेती शुरू कर चुके हैं, ऐसे में अब कुछ ही समय में इस किट का प्रशिक्षण सभी किसानों को दे पाना पूरी तरह संभव नहीं है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार योजना के तहत तीन चरणों में प्रशिक्षण दिया जाना था। इसमें पहले बीज के बारे में, फिर जैविक खाद और अंतिम चरण में कीट नाशक छिड़काव के बारे में प्रशिक्षण देना था। लेकिन किसानों को अब तक पहले चरण का भी प्रशिक्षण नहीं दिया गया है। दूसरी ओर कृषि विभाग का दावा है कि प्रशिक्षण के लिए संस्था का चयन हो गया है और कुछ क्षेत्रों में प्रशिक्षण शुरू हो गया है।

कुल मिलाकर यह साफ है कि राज्य सरकार को किसानों की चिंताओं से कोई सरोकार नहीं है, उसका पूरा ध्यान बजट को ठिकाने लगाने पर है।

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