गांव वालों का दबाव काम आया, नहर में पहुंचा पानी, रोपाई शुरू
उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के गरुड़ के अनुसूचित जाति बहुल गांव बिमोला में गांव वालों के दबाव के बाद सिंचाई विभाग ने नहर सही कर पानी पहुंचा दिया है, लोगों ने धान की रोपाई भी शुरू कर दी है, शुक्रवार को हमने आपको बताया था कि….
इस साल गांव वालों ने पूरी मेहनत से धान की नर्सरी तैयार की और जब धान की रोपाई का वक्त आया तो गांव वालों के सामने एक समस्या खड़ी हो गई और वह समस्या है पानी की। इस गांव में सिंचाई विभाग ने खेती के लिए एक नहर बना रखी है लेकिन जगह-जगह टूट-फूट जाने के कारण नहर की हालत काफी खराब थी, समय पर धान की रोपाई हो इसलिए गांव वालों ने मिलकर पूरी नहर की सफाई भी कर डाली , लेकिन उसके बाद भी पानी नहीं आया। अब गांव वालों ने प्रशासन को चेतावनी दे डाली है, गांव वालों ने कहा कि अगर उनकी रोपाई के लिए नहर में पानी नहीं आया तो इस बार वो अपनी पूरी धान की नर्सरी को आग लगा देंगे।
ये वाकया उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के गरुड़ के अनुसूचित जाति बहुल गांव बिमोला का है। गांव बिमोला के काश्तकार आज तक धान की रोपाई नहीं कर पाये हैं, बृहस्पतिवार को गांव की महिलाओं ने नहर की सफाई भी की, लेकिन नहर क्षतिग्रस्त होने के कारण पानी गांव तक नहीं पहुंच पाया। यहां सिंचाई विभाग ने बड़ेत नहर का निर्माण किया है। विभाग द्वारा इस बार नहर की मरम्मत न किए जाने से गांव में आज तक नहर का पानी नहीं पहुंचा है।
सिंचाई विभाग का कहना है कि उनके द्वारा संबंधित अधिकारियों को गांव तक पानी पहुंचाने के आदेश दे दिए गए हैं, वही गांव वालों ने चेतावनी दी है कि अगर 2 दिन के अंदर गांव में पानी नहीं पहुंचा तो वह अपनी धान की नर्सरी को आग लगा देंगे।
वैसे तो उत्तराखंड में बारिश का कहर जारी है लेकिन बारिश के पानी को धान की रोपाई के लिए कैसे उपयोगी बनाया जा सकता है इस बारे में शायद ही राज्य में कहीं कोई जागरूकता हो। एक मोटे अनुमान के अनुसार पिछले कुछ सालों में उत्तराखंड में करीब 200000 किसान खेती-बाड़ी छोड़ चुके हैं, राज्य की अधिकतर खेती का बारिश पर निर्भर होना, जानवरों द्वारा खेती-बाड़ी को नुकसान पहुंचाना, सिंचाई की समुचित व्यवस्था ना होना, दूरदराज के इलाकों में उगाई गई फसल का सही दाम नहीं मिलना, ऐसे कई कारण है जिसके कारण किसान कृषि से विमुख हो रहे हैं। हालांकि राज्य और केंद्र सरकार के स्तर पर किसानों की मदद के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, देहरादून में एक कार्यक्रम में कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने बताया कि राज्य के लिए भारत सरकार ने इंटीग्रेटेड हॉर्टिकल्चर से जुड़ी करीब 250 करोड़ की योजनाओं को उत्तरकाशी, टिहरी, पिथौरागढ़ और नैनीताल के लिए पहले फेज में स्वीकृत किया है, कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने बताया कि 2022 तक किसानों की आय बढ़ाने को लेकर सरकार लगातार प्रयास कर रही है। पिछले 18 सालों से जिस तरीके से उत्तराखंड में किसान अपनी किसानी को छोड़ रहे हैं उसको देखते हुए हम किसानों को बढ़ावा दे रहे हैं और आने वाले भविष्य में किसान खेती करना न छोड़े, इसके लिए सरकार अहम कदम उठा रही है।
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