उत्तराखंड : 9 साल का गरीब विजय होटल में बर्तन धोकर भी ले आया स्वर्ण पदक, जिसने कहानी सुनी रो दिया
ये सच्ची कहानी 9 साल के गरीब विजय की है, बचपन में ही विजय की मां का देहांत हो गया, पिता की माली हालत ठीक नहीं होने के कारण विजय अपनी बड़ी बहन के घर चला गया, जबकि अन्य भाई बहन चाचा-चाची के घर रहने लगे। विजय कुमार अपनी दीदी के घर रहकर बकरियां चराता था। कुछ दिनों बाद विजय के जीजा उसे पिथौरागढ़ ले आए, पिथौरागढ़ में विजय के जीजा ने विजय को एक होटल में काम में लगा दिया, विजय होटल में बर्तन धोता था। पिथौरागढ़ में घर से भाग कर वो खटीमा भी गया, वहां भी उसने एक होटल में काम किया लेकिन यहां भी उसका मन नहीं लगा और वह वापस पिथौरागढ़ चला गया। उसके बाद भी पिथौरागढ़ में कुछ ऐसा हुआ कि 9 साल के विजय ने जिला स्तरीय खेल महाकुंभ में स्वर्ण पदक जीता है।
पिथौरागढ़ में किसी महिला ने विजय को जिला बाल कल्याण बोर्ड के पास भेजा गया। बाल कल्याण बोर्ड ने विजय को घनश्याम ओली चाइल्ड वेलफेयर सोसायटी के सुपुर्द कर दिया गया। सोसायटी के अध्यक्ष अजय ओली और गिरीश ओली ने चार माह पूर्व विजय को प्राथमिक स्कूल बास्ते में प्रवेश दिलाया। खेलों में रुचि रखने वाले विजय की प्रतिभा देखिए कि उसने पिथौरागढ़ में 15 से 20 दिसंबर तक हुए खेल महाकुंभ में स्कूल की ओर से भाग लेते हुए 60 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीता, जबकि खो-खो, कबड्डी, लंबी कूद में दूसरा स्थान प्राप्त कर सिल्वर मेडल पाया। अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित उत्तराखंड के समाचारों का एकमात्र गूगल एप फोलो करने के लिए क्लिक करें….Mirror Uttarakhand News
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