शर्मसार हो गया हर उत्तराखंडवासी, लोग जमकर कर रहे हैं अपना गुस्सा व्यक्त
उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों की स्वास्थ्य व्यवस्था हमेशा से ही सवालों के घेरे में खड़ी रहती है, स्वास्थ्य व्यवस्था के नाम पर यहां जिला अस्पताल हैंं, जिनका काम प्राथमिक चिकित्सा देने के सिवाय कुछ नहीं है। किसी भी गंभीर स्थिति में अस्पताल मरीज को बड़े अस्पतालों या मैदानी इलाकों के अस्पतालों में रेफर करते हैं बुधवार को भी उत्तराखंड में एक ऐसे ही घटना घटी जिसने हर उत्तराखंडी को शर्मसार कर दिया और उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग के मुंह पर कालिख पोत दी। दरअसल चमोली जिले के धुनी गांव के मोहन सिंह मंगलवार को अपनी 8 माह की गर्भवती पत्नी को इलाज के लिए गोपेश्वर जिला अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने प्रसव में परेशानी बता कर मोहन सिंह की पत्नी को श्रीनगर के बड़े अस्पताल के लिए रेफर कर दिया, गोपेश्वर से श्रीनगर की दूरी 100 किलोमीटर से भी ज्यादा है, शाम हो चुकी थी और अस्पताल की ओर से किसी तरह की एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं की गई, इसलिए मोहन सिंह मंगलवार पत्नी को श्रीनगर नहीं ले जा सके। बुधवार सवेरे मोहन सिंह जीएमओ की बस से अपनी पत्नी को श्रीनगर के लिए ले गए, करीब 1 घंटे बाद महिला को बस में प्रसव वेदना होने लगी और यहां पर बस में बैठे लोगों और बस के ड्राइवर ने शर्मसार करते हुए महिला को रास्ते में ही बस से उतार दिया। मोहन सिंह और उसकी पत्नी बस से उतर गए और मोहन सिंह की पत्नी ने सड़क के किनारे ही बच्चे को जन्म दे दिया। कुछ देर बाद चिकित्सा नहीं मिलने और कड़ाके की ठंड के कारण बच्चे ने दम तोड़ दिया, मोहन सिंह ने 108 एंबुलेंस को फोन किया, लेकिन वो भी करीब 3 घंटे बाद पहुंची। एंबुलेंस ने महिला को रुद्रप्रयाग जिला अस्पताल में भर्ती कराया जहां महिला का इलाज चल रहा है और वो अब खतरे से बाहर है वहीं नवजात की मौत हो जाने के कारण मोहन सिंह ने बच्चे को एंबुलेंस के पहुंचने से पहले ही दफना दिया। एक तरफ जहां राज्य सरकार पहाड़ में एयर एंबुलेंस की व्यवस्था करने की बात कर अखबारों की सुर्खियां बटोर रही है वहीं दूसरी तरफ यह घटना न सिर्फ सरकार के लिए एक आईना है बल्कि उन लोगों के लिए भी जिन्होंने मोहन सिंह की पत्नी को बस से उतार दिया। इस घटना को लेकर उत्तराखंड में लोग सोशल मीडिया और दूसरे माध्यमों के जरिए जम कर अपना रोष व्यक्त कर रहे हैं।
Mirror News
Photo – Social Media
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