पांच राज्यों के चुनाव का सटीक विश्लेषण, 2019 में इसका असर और कहां कौन बन रहा मुख्यमंत्री
पांच राज्यों में हुए चुनाव के बाद अब परिणाम भी सामने आ गए हैं, तेलंगाना और मिजोरम में स्थिति लगभग पूरी तरह साफ हो चुकी है, तेलंगाना में के चंद्रशेखर राव की टीआरएस पूरे बहुमत के साथ जीत गई है और के चंद्रशेखर राव दुबारा राज्य के मुख्यमंत्री बनेंगे! वहीं मिजोरम में अभी तक रही कांग्रेस सरकार को हराकर मिजो नेशनल फ्रंट ने बहुमत हासिल कर लिया है और यहां एमएनएफ के नेता जोरामथांगा राज्य के नए मुख्यमंत्री बनेंगे।
अगर बात करें छत्तीसगढ़ की तो यहां कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिल गया है रमन सिंह के नेतृत्व में बीजेपी की यहां बुरी हार हुई है, 90 सदस्यीय विधान सभा में कांग्रेस की सीटों की संख्या 60 को पार कर गई है। इस तरह यहां कांग्रेस को भारी बहुमत से जीत मिली है। अगर मुख्यमंत्री पद की बात करें तो यहां कांग्रेस का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार पहले से निश्चित नहीं है, भूपेश बघेल, ताम्रध्वज साहू, चरण दास महंत और टी एस सिंहदेव वो नाम हैंं जिनकी मुख्यमंत्री पद पर दावेदारी रहेगी। ऐसे में देखना यह होगा कि कांग्रेस यहां इन्हीं नामों में से किसी को चुनती है या कोई नया नाम सामने लाती है।
वहीं अगर बात करें मध्य प्रदेश की तो यहां कांग्रेस और बीजेपी के बीच में कड़ा मुकाबला चल रहा था, खबर लिखे जाने तक कांग्रेस बहुमत के पास पहुंच गई थी या इस स्थिति में थी कि वह दूसरे अन्य दलों के कुछ विधायकों को अपने साथ मिलाकर यहां पर सरकार बना सकती है। शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में यहां बीजेपी ने कांग्रेस को कड़ी टक्कर तो दी, लेकिन वह सरकार बनाने के लिए जनता का विश्वास हासिल करने में असफल रहे। अब अगर मुख्यमंत्री पद की बात करें तो यहां पर कांग्रेस की ओर से कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैंं, मुख्य मुकाबला कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच माना जा रहा है, ऐसे में यह देखना होगा कि कांग्रेस की आंतरिक राजनीति में किसका पलड़ा भारी रहता है।
राजस्थान की बात करें तो यहां भी कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिल गया है वसुंधरा राजे के नेतृत्व में बीजेपी ने कांग्रेस को कड़ी टक्कर तो दी, पर सरकार बनाने के लिए संख्या जुटाने में असफल रही! राजस्थान में अभी तक कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद की दावेदारी सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच में है, वहीं सीपी जोशी और गिरिजा व्यास जैसे नेता भी गहलोत और पायलट के बीच में किसी तरह के होने वाले टकराव को देखते हुए मुख्यमंत्री पद के लिए सामने आ सकते हैं !
चूंकि इन चुनावों को लोकसभा चुनाव के सेमी फाइनल के तौर पर देखा जा रहा था, इसलिए यहां पर एक सवाल यह भी उठता है कि क्या 2019 में जब मोदी सरकार की परीक्षा होगी तो उसको भी कांंग्रेस ऐसी ही टक्कर दे पाएगी ? हालांकि राजस्थान और मध्य प्रदेश 2 बड़े राज्य हैं इसलिए इन दो राज्यों में और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में आज के परिणाम बीजेपी के लिए चिंता का विषय हो सकते हैं, लेकिन वही कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्यप्रदेश में बीजेपी की हार का कारण एंटी इनकंबेंसी है, खासकर राजस्थान में हर 5 साल में सरकार बदलने का पुराना इतिहास रहा है। छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में रमन सिंह और शिवराज सिंह चौहान लंबे समय से सत्ता पर काबिज थे, इसलिए वर्तमान परिप्रेक्ष में लोकसभा चुनाव पर इसका ऐसा असर नहीं दिखाई देगा। हालांकि चुनाव के परिणामों ने कांग्रेस नेतृत्व और उसके कार्यकर्ताओं को संजीवनी जरूर दे दी, वही लंबे समय से हाशिये पर पड़ी कांग्रेस और उसके नेता राहुल गांधी के लिए भी यह चुनाव ऑक्सीजन की तरह हैंं और इन परिणामों ने राहुल गांधी के नेतृत्व पर कांग्रेस के अंदर दबे मुंह से सवाल उठाने वालों को भी चुप करा दिया है। अंत में यह कहना जरूरी होगा कि इन चुनावों में कांग्रेस की जातिवादी राजनीति बीजेपी के धर्मोंन्मादी राजनीति पर भारी पड़ी है, जो लोग यह समझते हैं कि इन चुनावों में विकास कहीं न कहीं केंद्र पर था उन्हें एक बार फिर से सोचना होगा।
Mirror Editorial
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