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न गांधी की ताबीज ना ही मेरा जमीर मुझे अनुमति देता है, पढ़ें पीएम मोदी ने ऐसा क्यों कहा

न गांधी की ताबीज ना ही मेरा जमीर मुझे अनुमति देता है, पढ़ें पीएम मोदी ने ऐसा क्यों कहा

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by November 5, 2019 News

भारत ने क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी यानी (RCEP) में शामिल न होने का फैसला लिया है। इस समझौते में अनसुलझे मुद्दों के कारण भारत ने इस Regional Comprehensive Economic Partnership (RCEP) से बाहर रहना ही सही समझा।पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि RCEP के तहत कोर हितों पर कोई समझौता नहीं होगा। मोदी ने कहा कि हमारे किसान, व्यवसायी, पेशेवर और उद्योगों को ऐसे फैसलों से जोखिम है। कामगार और उपभोक्ता दोनों बराबर महत्वपूर्ण हैं, जो भारत को एक बड़ा बाजार और खरीदने की क्षमता के मामले में तीसरे नंबर की अर्थव्यवस्था बनाते हैं। जब मैं आरसीईपी समझौते को सभी भारतीयों के हित में देखता हूं तो मुझे कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिलता। लिहाजा न तो गांधी जी की ताबीज ना ही मेरा अपना जमीर मुझे आरसीईपी में शामिल होने अनुमति देता है आगे पढ़िए पीएम मोदी ने और क्या कहा….

प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट किया कि जब तक भारत को होने वाले असमान व्यापारिक घाटे और भारतीय व्यवसाय और उत्पादों को समान अधिकार नहीं मिलेंगे तब तक भारत इस समझौते में शामिल नहीं हो सकता है। ( PM Modi on RCEP) मोदी ने कहा कि भारत एक समग्र क्षेत्रीय सहयोग के साथ-साथ मुक्त व्यापार के लिए अंतरराष्ट्रीय नियम आधारित प्रणाली चाहता है। RCEP संवाद के सात साल के सफ़र में वैश्विक आर्थव्यवस्था और व्यवसायिक परिस्थितियों में काफी बदलाव आया है। हम इन बदलावों को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते हैं। मौजूदा RCEP समझौता में पूरी तरह से उन मूल सिद्धान्तों की झलक नहीं है जिनके आधार पर इसका गठन हुआ था। साथ ही इसमें भारत की चिताओं का संतोषजनक समाधान भी नहीं है। ऐसे में भारत इसमे शामिल नहीं हो सकता है।

दरअसल मुक्त व्यापार समझौते के मुताबिक़ आयात और निर्यात की सुगमता को बढ़ाया जाता है। ऐसे समझौते के तहत सदस्य देशों को टैक्स घटाने होते हैं और व्यापार के लिए अनुकूल माहौल तैयार किया जाता है। समझौते के बाद इन देशों में एक दूसरे के उत्पाद और सेवाएं आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। RCEP में 10 आसियान देशों के अलावा भारत, चीन, जापान, साउथ कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड भी शामिल हैं। प्रधानमंत्री आसियान देशों की बैठक के लिए थाइलैंड में थे। बैंकॉक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14वें पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन में भाग लेते हुए विश्व के सामने मौजूद चुनौतियों का उल्लेख किया। उन्होंने इन समस्याओं का साझा हल तलाशने के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता पर जोर दिया। इस बार के शिखर सम्मेलन में पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन सहयोग की भावी दिशा और क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान मुख्य एजेंडा था। शिखर सम्मेलन में तीन वक्तव्यों को अपनाया गया। जिसमें निरंतरता के लिए साझेदारी, अवैध मादक पदार्थों के प्रसार को रोकना और देशों के बीच अपराधों को रोकने पर सहयोग करने जैसे मुद्दे शामिल हैं।

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आसियान सम्मेलन में पूर्वी-एशिया समिट से इतर प्रधानमंत्री ने कई द्विपक्षीय मुलाक़ात की। उसमें जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ मुलाक़ात काफी अहम रही। दोनों ही देशों ने हिंद-प्रशांत में स्थिति का आकलन किया और तीसरे देशों में सहयोग बढ़ाने का संकल्प भी लिया।

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