उत्तराखंड में उच्च शिक्षा में फर्जीवाड़े का बड़ा उदाहरण है सुभारती विश्वविद्यालय
उत्तराखंड में उच्च शिक्षा में बड़ा फ़र्ज़ीवाड़ा सामने आया है. सुभारती विश्वविद्यालय के 13 कॉलेजों में पढ़ने वाले एक हजार स्टूडेंट्स को नहीं पता कि उनका होगा क्या? वहीं पैरेंट्स का कहना है कि जब पूरी यूनिवर्सिटी ही फर्जी है .तो सरकार सुभारती के मैनजमेंट को गिरफ्तार करे और स्टूडेंट्स के भविष्य की चिंता करे ।
पूरे भारत में शायद की कभी ऐसा हुआ हो कि एक पूरे प्राइवेट मेडिकल कॉ़लेज को सुप्रीम कोर्ट सरकार को सौंप दे. बहरहाल उत्तराखंड में ऐसा हुआ. सैकड़ों छात्रों का भविष्य खराब न हो इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने सुभारती मेडिकल कॉलेज सरकार को सौंप दिया लेकिन हैरानी की बात ये कि एक हफ्ते में अब तक सरकार और चिकित्सा शिक्षा विभाग कोई प्लान तैयार नहीं कर पाया है।
इस बीच सरकार के वकील ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में माना कि सुभारती के कैंपस में मेडिकल कॉलेज के साथ 12 और कॉलेज चल रहे हैं. इनमें मेडिकल के 300 और बाकी कोर्स के 700 स्टूडेंट्स हैं. सरकार के वकील ने कोर्ट में कहा कि व्यवस्था बनाने की कोशिश हो रही है।
अब मुश्किल में घिरे एक हजार बच्चों के पैरेंट्स पूछ रहे हैं कि जब सरकार को पता चल चुका है कि सब कुछ फर्जी है तो सुभारती के मैनेजमेंट पर मेहरबानी क्यों है? क्यों अब तक केस दर्ज नहीं हुआ और क्यों सुभारती का मैनजमेंट वहां कुर्सी जमाकर बैठा है।
पेरेंट्स परेशान हैं कि उनके बच्चों का क्या होगा. सरकार कुछ करेगी भी या नहीं लेकिन शासन और सरकार कछुए की चाल से काम कर रहे हैं. चिकित्सा शिक्षा निदेशक का कहना है कि व्यवस्था बनाने में अभी वक्त लगेगा. वहीं सुभारती का स्टाफ अब सरकार से सैलेरी मांग रहा है. गुरुवार को इन लोगों ने अधिकारियों का घेराव भी किया।
सुभारती के एक हजार बच्चों को मैनजमेंट सर्दियों की छुट्टी पर भेज चुका है ताकि कॉलेज में कोई बवाल न हो लेकिन सुभारती ने कई सवाल सिस्टम पर खड़े कर दिए हैं।
पहला सवाल है कि इस यूनिवर्सिटी को मान्यता देते समय मानकों का ध्यान क्यों नहीं रखा गया?
दूसरा- सुभारती मेडिकल कॉलेज और यूनिवर्सिटी को विधानसभा से मान्यता मिली कैसे?
तीसरा- 6 बिल्डिंग में कुल 13 कॉलेज चल रहे हैं, यह बात पहले किसी ने क्यों नहीं देखी?
चौथा- उच्च शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा विभाग ने क्या कभी सुभारती कैंपस का निरीक्षण किया भी?
पांचवां- अगर किया, तो ये तथ्य पहले सामने क्यों नहीं आए, जो सुप्रीम कोर्ट में आए?
इन सवालों के जवाब अब सरकार को देने हैं जो पहले भी एमबीबीएस फ़ीस के और आयुर्वेद कॉलेज की फ़ीस के मुद्दे पर अपनी किरकिरी करवा चुकी है।
साभार – ntinews.com
Mirror News
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