उत्तराखंड प्रशासन की लापरवाही से मोदी की सब को घर योजना पर संकट
हल्द्वानी : प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 11 हजार से अधिक बेघर परिवारों का एक अदद छत पाने का इंतजार लंबा हो सकता है। वजह है विभागीय अधिकारियों व प्रशासनिक अफसरों की सुस्त कार्यशैली। पीएम आवास योजना के प्रमुख घटक ‘भागीदारी में किफायती आवास’ के तहत जून 2015 से पहले निकाय क्षेत्र में रह रहे भूमि विहीन बेघर परिवारों को आवास उपलब्ध कराना है।
नैनीताल जिले के छह नगर निकायों में 11228 परिवारों को इसके लिए चिह्नित किया गया है। जमीन इसमें बाधक बन रही है। शहरी विकास निदेशालय के अपर निदेशक उदय सिंह राणा ने रानीबाग एचएमटी फैक्ट्री की जमीन पर आवास बनाने की संभावना तलाशने के लिए नैनीताल जिला प्रशासन को पिछले माह 9 नवंबर को पत्र लिखकर पूछा था कि क्या एचएमटी की भूमि पर हल्द्वानी, नैनीताल निकाय की जरूरत के अनुरूप (10656) आवास बनाने की मांग पूरी की जा सकती है। कोई जवाब न मिलने पर 17 नवंबर को दोबारा पत्र लिखकर 22 नवंबर तक रिपोर्ट उपलब्ध कराने को कहा गया, लेकिन रिपोर्ट तो दूर, प्रशासन की ओर से पत्र का ही जवाब नहीं दिया गया। इस संबंध में नैनीताल डीएम वीके सुमन से बात की गई तो उन्होंने इस तरह के किसी पत्र की जानकारी से साफ इन्कार कर दिया। अब सवाल यह उठता है कि आखिर अपर निदेशक के दो पत्र अगर जिला प्रशासन को नहीं मिले तो फिर ये कहां गायब हो गए?
कमेटी से 15 दिन में मांगी थी रिपोर्ट
डीएम वीके सुमन की अध्यक्षता में 22 नवंबर को हुई पीएम आवास योजना की समीक्षा बैठक में जमीन के अभाव में आवास नहीं बनने की बात सामने आई थी। ऐसे में सरकारी जमीन की तलाश (सर्वे) के लिए संयुक्त मजिस्ट्रेट/एसडीएम नैनीताल की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी गठित की गई। समिति में जिला पंचायत रात अधिकारी, डीएफओ नैनीताल के अधीन उप वन संरक्षक, समस्त बीडीओ व तहसीलदार को सदस्य बनाया गई। कमेटी को 15 दिन में रिपोर्ट देनी थी, लेकिन रिपोर्ट तो दूर, किसी निकाय ने अब तक प्रस्ताव ही नहीं दिए हैं।
साभार- ntinews.com
Mirror News
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