उत्तराखंड में गुलदारों में आ रहा है बड़ा परिवर्तन, इंसानों पर हमले और बढ़ेंगे इससे, विशेषज्ञ चिंतित
उत्तराखंड के गुलदारों में बड़ा परिवर्तन सामने आ रहा है, वन्य जीव विशेषज्ञों का मानना है कि ये परिवर्तन आने वाले समय में यहां रहने वाले लोगों के लिए बड़ा खतरा बन सकता है। उत्तराखंड में गुलदारों की संख्या काफी ज्यादा है ऐसे में गुलदारों के अंदर आ रहे ये परिवर्तन राज्य में वन्यजीव-मानव संघर्ष को और बढ़ाएंगे।
राज्य के एक अखबार ने प्रसिद्ध शिकारी लखपत सिंह रावत के हवाले से बताया है कि गुलदार के शावक अब शिकार करना नहीं सीख पा रहे हैं और मानव बस्तियों के ज्यादा नजदीक रहने लगे हैं, ऐसे में मानव के लिए खतरा बढ़ते जा रहा है। 2002 से अब तक विभिन्न क्षेत्रों में 53 आदमखोर गुलदारों को ढेर कर लोगों को इनके खौफ से मुक्ति दिलाने वाले लखपत सिंह रावत ने इसे लेकर अध्ययन भी किया है। अखबार ने अपनी रिपोर्ट में उनके हवाले से बताया है कि प्रदेश में गुलदारों की संख्या काफी ज्यादा है, जबकि उनके लिहाज से शिकार और रहने की जगह कम होती जा रही हैं। अध्ययन में चौंकाने वाली बात ये सामने आई कि गांवों के नजदीक रहने वाले शावक शिकार करना नहीं सीख पा रहे। अल्मोड़ा, बागेश्वर, पौड़ी समेत अन्य जिलों के गुलदार प्रभावित क्षेत्रों ये तथ्य सामने आए हैं। पलायन के कारण राज्य में खेत बंजर होते जा रहे हैं, गुलदार मानव बस्तियों के नजदीक इन्ही बंजर खेतों में झाड़ियों में रहने लगे हैं और उनके शावक जो तीन साल तक अपनी मां के साथ रहते हैं, शिकार और जगह की कमी से शिकार में पारंगत नहीं हो पा रहे और वो मानव गतिविधियों को ही देखते रहते हैं। गुलदारों के इंसानों पर हमले भी इसी कारण बढ़ रहे हैं।
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