अभी नहीं बढ़ेगी आपकी ईएमआई, आरबीआई ने द्विमासिक मौद्रिक नीति में नहीं बदली रेपो दर, कहा महंगाई के खिलाफ अभी लड़ाई खत्म नहीं हुई
6 April. 2023. New Delhi News Desk. आरबीआई ने द्विमासिक मौद्रिक नीति जारी की है। रिजर्व बैंक की ओर से विभिन्न दरों को अपरिवर्तित रखा गया है ऐसे में फिलहाल आपकी होम लोन और दूसरे लोन की ईएमआई और ब्याज दर में कोई परिवर्तन नहीं आने वाला है। वहीं आरबीआई ने जोर देकर कहा कि मुद्रास्फीति (महंगाई) के खिलाफ लड़ाई अभी समाप्त नहीं हुई है। हमारा काम अभी खत्म नहीं हुआ है और मुद्रास्फीति के खिलाफ युद्ध तब तक जारी रहना चाहिए जब तक कि हम लक्ष्य के करीब मुद्रास्फीति में स्थायी गिरावट नहीं देख लेते। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सूचित किया कि मौद्रिक नीति समिति ने तत्परता से कार्य करने के साथ सर्वसम्मति से नीति रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय किया है । नतीजतन, स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर बिना किसी बदलाव के 6.25 प्रतिशत और सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर तथा बैंक दर 6.75 प्रतिशत रहेगी।
गवर्नर का मानना है कि मुद्रास्फीति लक्ष्य से ऊपर है और इसके वर्तमान स्तर को देखते हुए वर्तमान नीतिगत दर को अभी भी उदार माना जा सकता है। इसलिए एमपीसी ने आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए धन की आपूर्ति बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने का निर्णय लिया।
यह देखते हुए कि वैश्विक अस्थिरता के बीच आर्थिक गतिविधि लचीली बनी हुई है, गवर्नर ने बताया कि 2023-24 के लिए भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.5 प्रतिशत, पहली तिमाही में 7.8 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 6.2 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 6.1 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.9 प्रतिशत होने का अनुमान है।
गवर्नर ने सूचित किया कि सीपीआई मुद्रास्फीति 2023-24 के लिए 5.2 प्रतिशत पर मध्यम रहने का अनुमान है, पहली तिमाही में 5.1 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 5.4 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 5.4 प्रतिशत; और चौथी तिमाही में 5.2 प्रतिशत होने का अनुमान है।
गवर्नर ने जोर देकर कहा कि मुद्रास्फीति (महंगाई) के खिलाफ लड़ाई अभी समाप्त नहीं हुई है। हमारा काम अभी खत्म नहीं हुआ है और मुद्रास्फीति के खिलाफ युद्ध तब तक जारी रहना चाहिए जब तक कि हम लक्ष्य के करीब मुद्रास्फीति में स्थायी गिरावट नहीं देख लेते। हमें विश्वास है कि हम मध्यम अवधि में मुद्रास्फीति को लक्ष्य दर तक नीचे लाने के लिए सही रास्ते पर हैं।
गवर्नर ने बताया कि भारतीय रुपया कैलेंडर वर्ष 2022 में व्यवस्थित तरीके से आगे बढ़ा है और 2023 में भी ऐसा ही बना रहेगा। यह घरेलू मैक्रोइकॉनॉमिक फंडामेंटल की ताकत और वैश्विक स्पिलओवर के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था के लचीलेपन को दर्शाता है।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि हमारे बाहरी क्षेत्र के संकेतकों में काफी सुधार हुआ है। विदेशी मुद्रा भंडार 21 अक्टूबर, 2022 को 524.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर है और अब हमारी आगे की परिसंपत्ति को ध्यान में रखते हुए 600 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है।
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