हमारा देश Mother of Democracy है, लोकतंत्र हमारी रगों में है, हमारी संस्कृति में है, स्वभाव से हम एक Democratic Society हैं-Mann ki Baat में बोले पीएम मोदी
29 Jan. 2023. New Delhi. रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को संबोधित किया, इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गणतंत्र दिवस समारोह को जिक्र करते हुए कहा कि इस बार पद्म पुरस्कार से सम्मानित होने वालों में जनजातीय समुदाय और जनजातीय जीवन से जुड़े लोगों का अच्छा-खासा प्रतिनिधत्व रहा है। जनजातीय जीवन, शहरों की भागदौड़ से अलग होता है, उसकी चुनौतियां भी अलग होती हैं। इसके बावजूद जनजातीय समाज, अपनी परम्पराओं को सहेजने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। जनजातीय समुदायों से जुड़ी चीज़ों के संरक्षण और उन पर research के प्रयास भी होते हैं। ऐसे ही टोटो, हो, कुइ, कुवी और मांडा जैसी जनजातीय भाषाओं पर काम करने वाले कई महानुभावों को पद्म पुरस्कार मिले हैं। यह हम सभी के लिए गर्व की बात है। पीएम मोदी ने कहा कि इस बार पद्म पुरस्कार से सम्मानित होने वालों में कई ऐसे लोग शामिल हैं, जिन्होंने संगीत की दुनिया को समृद्ध किया है। पद्म पुरस्कार पाने वाले अनेक लोग, हमारे बीच के वो साथी हैं, जिन्होंने, हमेशा देश को सर्वोपरि रखा, राष्ट्र प्रथम के सिद्धांत के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। वो सेवाभाव से अपने काम में लगे रहे और इसके लिए उन्हें कभी किसी पुरस्कार की आशा नहीं की। वो जिनके लिए काम कर रहे हैं, उनके चेहरे का संतोष ही उनके लिए सबसे बड़ा award है। ऐसे समर्पित लोगों को सम्मानित करके हम देशवासियों का गौरव बढ़ा है। मैं सभी पद्म पुरस्कार विजेताओं के नाम भले ही यहाँ नहीं ले पाऊँ, लेकिन आप से मेरा आग्रह जरुर है, कि आप, पद्म पुरस्कार पाने वाले इन महानुभावों के प्रेरक जीवन के विषय में विस्तार से जानें और औरों को भी बताएं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने India – The Mother of Democracy किताब का भी जिक्र किया और बताया कि इसमें कई बेहतरीन Essays हैं। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और हम भारतीयों को इस बात का गर्व भी है कि हमारा देश Mother of Democracy भी है। लोकतंत्र हमारी रगों में है, हमारी संस्कृति में है – सदियों से यह हमारे कामकाज का भी एक अभिन्न हिस्सा रहा है। स्वभाव से, हम एक Democratic Society हैं।
पीएम मोदी ने International Yoga Day और International Year of Millets का जिक्र करते हुए कहा कि दोनों का ही निर्णय भारत के प्रस्ताव के बाद लिया है। दूसरी बात ये कि योग भी स्वास्थ्य से जुड़ा है और millets भी सेहत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। तीसरी बात और महत्वपूर्ण है – दोनों ही अभियानो में जन-भागीदारी की वजह से क्रांति आ रही है। जिस तरह लोगों ने व्यापक स्तर पर सक्रिय भागीदारी करके योग और fitness को अपने जीवन का हिस्सा बनाया है उसी तरह millets को भी लोग बड़े पैमाने पर अपना रहे हैं। लोग अब millets को अपने खानपान का हिस्सा बना रहे हैं। इस बदलाव का बहुत बड़ा प्रभाव भी दिख रहा है। इससे एक तरफ वो छोटे किसान बहुत उत्साहित हैं जो पारंपरिक रूप से millets का उत्पादन करते थे। वो इस बात से बहुत खुश हैं कि दुनिया अब millets का महत्व समझने लगी है। दूसरी तरफ, FPO और entrepreneurs ने millets को बाजार तक पहुँचाने और उसे लोगों तक उपलब्ध कराने के प्रयास शुरू कर दिए हैं।
वहीं G-20 का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज हिंदुस्तान के कोने-कोने में G-20 की summits लगातार चल रही है और मुझे खुशी है कि देश के हर कोने में, जहां भी G-20 की summit हो रही है, millets से बने पौष्टिक, और स्वादिष्ट व्यंजन उसमें शामिल होते हैं। यहाँ बाजार से बनी खिचड़ी, पोहा, खीर और रोटी के साथ ही रागी से बने पायसम, पूड़ी और डोसा जैसे व्यंजन भी परोसे जाते हैं। G20 के सभी Venues पर Millets Exhibitions में Millets से बनी Health Drinks, Cereals (सीरियल्स) और Noodles को Showcase किया गया। दुनिया भर में Indian Missions भी इनकी लोकप्रियता बढ़ाने के लिए भरपूर प्रयास कर रहे हैं। आप कल्पना कर सकते हैं कि देश का ये प्रयास और दुनिया में बढ़ने वाली मिलेट्स (Millets) की डिमांड (demand), हमारे छोटे किसानों को कितनी ताकत देने वाली है। मुझे ये देखकर भी अच्छा लगता है कि आज जितने तरह की नई-नई चीज़ें मिलेट्स (Millets) से बनने लगी हैं, वो युवा पीढ़ी को भी उतनी ही पसंद आ रही है। International Year of Millets की ऐसी शानदार शुरुआत के लिए और उसको लगातार आगे बढाने के लिए मैं ‘मन की बात’ के श्रोताओं को भी बधाई देता हूं।
वहीं प्रधानमंत्री ने कहा कि आज हर घर में Mobile Phone, Laptop, Tablet जैसी devices आम हो चली हैं। देशभर में इनकी संख्या Billions में होगी। आज के Latest Devices, भविष्य के E-Waste भी होते हैं। जब भी कोई नई device खरीदता है या फिर अपनी पुरानी device को बदलता है, तो यह ध्यान रखना जरूरी हो जाता है कि उसे सही तरीके से Discard किया जाता है या नहीं। अगर E-Waste को ठीक से Dispose नहीं किया गया, तो यह, हमारे पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा सकता है। लेकिन, अगर सावधानीपूर्वक ऐसा किया जाता है, तो, यह Recycle और Reuse की Circular Economy की बहुत बड़ी ताकत बन सकता है। संयुक्त राष्ट्र की एक Report में बताया गया था कि हर साल 50 मिलियन टन E-Waste फेंका जा रहा है। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कितना होता है? मानव इतिहास में जितने Commercial Plane बने हैं, उन सभी का वजन मिला दिया जाए, तो भी जितना E-Waste निकल रहा है, उसके बराबर, नहीं होगा। ये ऐसा है जैसे हर Second 800 Laptop फेंक दिए जा रहे हों। आप जानकर चौंक जाएंगे कि अलग-अलग Process के जरिए इस E-Waste से करीब 17 प्रकार के Precious Metal निकाले जा सकते हैं। इसमें Gold, Silver, Copper और Nickel शामिल हैं, इसलिए E-Waste का सदुपयोग करना, ‘कचरे को कंचन’ बनाने से कम नहीं है।
अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित उत्तराखंड के समाचारों का एकमात्र गूगल एप फोलो करने के लिए क्लिक करें…. Mirror Uttarakhand News
( उत्तराखंड की नंबर वन न्यूज, व्यूज, राजनीति और समसामयिक विषयों की वेबसाइट मिरर उत्तराखंड डॉट कॉम से जुड़ने और इसके लगातार अपडेट पाने के लिए नीचे लाइक बटन को क्लिक करें)