अब भारत खुद बनाएगा दुर्लभ पृथ्वी स्थायी चुंबक, पीएम मोदी ने विभिन्न प्रोजेक्ट्स के साथ इसका भी किया उद्घाटन
11 May. 2023. New Delhi News Desk. रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नट का उत्पादन अब भारत में ही हो सकेगा, अभी तक यह तकनीक सिर्फ विकसित देशों के पास थी, अब भारत में भी दुर्लभ पृथ्वी की स्थाई चुंबक निर्माण की तकनीक अपने ही देश में बना ली है। इस तरह के चुंबक का उपयोग सूचना तकनीक, हथियारों के निर्माण, सूक्ष्म इलेक्ट्रॉनिक्स और वायुयानों में फिट होने वाले इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में होता है। आज राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के अवसर पर पीएम मोदी ने कई अन्य वैज्ञानिक परियोजनाओं के साथ इसका भी उद्घाटन किया, आगे पढ़िए….
आज 11 मई को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस 2023 के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका उद्घाटन किया। रेयर अर्थ परमानेंट मैगनेट (दुर्लभ पृथ्वी स्थायी चुंबक) का उत्पादन मुख्य रूप से विकसित देशों में होता है। दुर्लभ स्थायी पृथ्वी चुंबक के उत्पादन की सुविधा विशाखापत्तनम में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र परिसर में विकसित की गई है। यह सुविधा स्वदेशी प्रौद्योगिकी के आधार पर तथा स्वदेशी संसाधनों से निकाली गई स्वदेशी दुर्लभ सामग्री का उपयोग करके स्थापित की गई है। इस सुविधा के साथ भारत रेयर अर्थ परमानेंट मैगनेट के उत्पादन करने की क्षमता वाले देशों के चुनिंदा समूह में शामिल हो गया। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिशन मोलिब्डेनम-99 उत्पादन सुविधा, मुंबई, नेशनल हैड्रॉन बीम थैरेपी सुविधा, नवी मुंबई, रेडियोलॉजिकल रिसर्च यूनिट, नवी मुंबई, होमी भाभा कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, विशाखापत्तनम तथा वूमन एंड चिल्ड्रेन हॉस्पिटल बिल्डिंग, नवी मुंबई का भी उद्घाटन किया।
टाटा मेमोरियल सेंट्रर, नवी मुंबई की नेशनल हैड्रॉन बीम थैरेपी सुविधा अत्याधुनिक सुविधा से लैस है, जो आसपास की सामान्य संरचनाओं को न्यूनतम डोज के साथ ट्यूमर में विकरण की अत्यधिक सटीक डिलीवरी करने का काम करती है। लक्षित टिशू को डोज की सटीक डिलीवरी रेडिएशन थैरेपी के प्रारंभिक और विलंबित दुष्प्रभावों को कम करती है।
फिशन मोलिब्डेनम-99 उत्पादन सुविधा भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के ट्रॉम्बे परिसर में है। मोलिब्डेनम-99 टेक्नेटियम-99एम का मूल है, जिसका उपयोग कैंसर, हृदय रोग आदि की प्रारंभिक पहचान के लिए 85 प्रतिशत से अधिक ईमेजिंग प्रक्रियाओं में किया जाता है। इस सुविधा से प्रतिवर्ष लगभग 9 से 10 लाख रोगियों का स्कैन हो सकेगा।
वहीं पीएम मोदी ने महाराष्ट्र के हिंगोली में विकसित होने वाला एलआईजीओ-इंडिया विश्व में गिने-चुने लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रैविटेशनल वेव ऑब्जर्वेटरी की आधारशिला भी रखी। यह चार किलोमीटर भुजा लंबाई का एक अत्यंत संवेदनशील इंटरफेरोमीटर है, जो ब्लैक होल तथा न्यूट्रन सितारों जैसे बड़े स्तर पर खगोल भौतिकी वस्तुओं के विलय के दौरान उत्पन्न गुरुत्वाकर्षण तरंगों की सेंसिंग में सक्षम है। एलआईजीओ-इंडिया अमेरिका में संचालित दो ऐसी वैधशालाओं के साथ सिंक्रोनाइजेशन में काम करेगा- एक हैनफोर्ड वाशिंगटन में और दूसरा लिविंगस्टन, लूईसियाना में।
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