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अब किसानों की मदद के लिए इसरो और कृषि मंत्रालय सिस्टम विकसित कर रहे, री-सेट-1ए उपग्रह के उपयोग के लिए हुआ समझौता

अब किसानों की मदद के लिए इसरो और कृषि मंत्रालय सिस्टम विकसित कर रहे, री-सेट-1ए उपग्रह के उपयोग के लिए हुआ समझौता

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by December 14, 2022 News

14 Dec. 2022. New Delhi. किसानों को फसल के उत्पादन में मदद करने और कृषि एवं इस क्षेत्र से जुड़े हुए लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए साक्ष्य आधारित निर्णय लेने की क्षमता बढ़ाने के लिए भूस्थानिक प्रौद्योगिकियों और संबंधित डेटाबेस का उपयोग करके कृषि-निर्णय समर्थन प्रणाली (कृषि-डीएसएस) विकसित करने के लिए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग और अंतरिक्ष विभाग के बीच कृषि क्षेत्र में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय अंतरिक्ष विभाग के भू-प्रेक्षण उपग्रह-04 (री-सैट-1ए) और वेदाज का उपयोग करते हुए गति शक्ति की तर्ज पर कृषि-डीएसएस, एक निर्णय समर्थन प्रणाली विकसित कर रहा है। यह इसरो के मोसडेक और भुवन (जियो-प्लेटफॉर्म) और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की प्रणालियों के साथ एकीकरण के माध्यम से कृषि क्षेत्र में सभी हितधारकों की साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ाएगा।

इस मौके पर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकी; राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पृथ्वी विज्ञान; प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज औपचारिक रूप से उपयोगकर्ता समुदाय के लिए भू-प्रेक्षण उपग्रह-04 (री-सैट-1ए) के आंकड़ा उत्पादों और सेवाओं को जारी किया।

इस अवसर पर अपने संबोधन में केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में एक नया आयाम जुड़ रहा है और अंतरिक्ष विज्ञान के माध्यम से कृषि क्षेत्र में क्रांति की शुरुआत हो रही है। उन्होंने कहा कि कृषि विभाग और अंतरिक्ष विभाग के बीच हुए समझौते से कृषि क्षेत्र की ताकत और बढ़ेगी। अगर यह ज्ञान किसानों तक पहुंचेगा तो उनके उत्पादन के साथ-साथ उत्पादकता बढ़ेगी। उत्पादन की गुणवत्ता भी बढ़ेगी और निर्यात के अवसर भी बढ़ेंगे।

सभा को संबोधित करते हुए, राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि री-सैट-1ए डेटा कृषि, जैव संसाधन, पर्यावरण, जल संसाधन और आपदा प्रबंधन के लिए निर्णय समर्थन प्रणाली विकसित करने में बेहद उपयोगी होगा। उन्होंने कहा कि इस समन्वय और सहयोग को संभव बनाने के प्रयास किए गए। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में पिछले आठ वर्षों की मुख्य उपलब्धि जीवन को आसान बनाने के लिए विज्ञान का उपयोग करना है और इसे प्रयोगशाला से बाहर निकाला जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि साल 2020 में अंतरिक्ष विभाग के नियमों में संशोधन किया गया था।

अंतरिक्ष विभाग के सचिव एस. सोमनाथ ने कहा कि री-सैट-1ए भारत का पहला रडार इमेजिंग सैटेलाइट है, जिसे 14 फरवरी, 2022 को लॉन्च किया गया था। री-सैट-1ए एक बारहमासी उपग्रह है और वनस्पति में गहराई तक प्रवेश कर सकता है। यह प्रकाश की स्थिति से भिन्न उच्च रेजोल्यूशन वाली भू-स्थानिक छवियां ले सकता है। उन्होंने कहा कि यह समझौता ज्ञापन भारतीय कृषि के समावेशी, आत्मनिर्भर और सतत विकास के लिए डिजिटल आधार प्रदान करेगा। कार्यक्रम के हिस्से के रूप में इसरो द्वारा एक तकनीकी कार्यशाला भी आयोजित की गई, जिसमें उपयोगकर्ता समुदाय के लाभ के लिए री-सैट-1ए डेटा का उपयोग करके मामले के अध्ययन और संभावित अनुप्रयोगों का प्रदर्शन किया गया था। री-सैट-1ए डेटा राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (एनआरएससी), हैदराबाद द्वारा भूनिधि जियोपोर्टल के माध्यम से प्राप्त, संसाधित और प्रसारित किया जाता है।

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