आखिर क्यों बढ़ा रहे हैं नरेन्द्र मोदी भारत और इस्राइल के बीच में ये दोस्ती, सच जानिए
इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतिनयाहू भारत पहुंच चुके हैं, वो भारत की 6 दिनों की यात्रा पर हैं। जब से नरेन्द्र मोदी की सरकार केन्द्र में आई है तब से भारत और इस्राइल के संबंधों में एक नया आयाम दिख रहा है, दोनों ही देशों के बीच में एक नई कैमिस्ट्री देखी जा रही है। आपको याद होगा पिछले साल जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस्राइल की यात्रा पर गये थे तो वो पहले भारतीय प्रधानमंत्री थे जो वहां गये, वहां दोनों ही देशों के प्रधानमंत्रियों में काफी गर्मजोशी देखी गई थी, दरअसल इस्राइली पीएम और मोदी के संबंध तब से हैं जब मोदी गुजरात में मुख्यमंत्री थे। इतिहास में अगर देखा जाये तो भारत ने इस्राइल और फलस्तीन से बराबर के संबंध बनाकर रखे, यहां तक कि भारत को फलस्तीनी नेता यासर अराफात का एक बड़ा समर्थक माना जाता था, उस समय की अंतर्राष्ट्रीय राजनीति शायद इसी के लिए मुफीद थी। अभी कुछ दिनों पहले जब संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की ओर से येरुशलेम को इस्राइल की राजधानी घोषित करने के मसले पर बहस हुई थी तो भारत ने फलस्तीन का ही साथ दिया था, लेकिन जहां तक इस्राइल की बात करें तो अब भारत के संबंध इस्राईल से पहले से काफी ज्यादा मजबूत हो चुके हैं। पहले जब भी कोई भारतीय मंत्री इस्राइल की यात्रा पर जाता था तो वो फलस्तीन जरूर जाता था, लेकिन मोदी ने ऐसा नहीं किया, हालांकि फलस्तीनी नेता महमूद अब्बास भी मोदी के सत्ता में आने के बाद भारत आ चुके हैं। मोदी सरकार के आने से पहले भी भारत और इस्राइल के बीच में कई क्षेत्रों में खासकर सैन्य साजो-सामान में सहयोग हो रहा था, लेकिन आज अगर देखा जाए तो दोनों देशों के नेताओं के संबंध के साथ-साथ आपसी सहयोग में भी भारत इस्राइल संबंध बिलकुल अलग दिशा में आ चुके हैं, और आने वाले दिनों में दोनों ही देशों के बीच में अभूतपूर्व सैन्य सहयोग भी दिखाई देगा। आने वाले समय में दोनों देशों की निजी कंपनियों के बीच सैन्य साजो-सामान, कृषि, सिंचाई और वैकल्पिक ऊर्जा के क्षेत्र में साझा उपक्रमों को भी बढ़ावा दिया जा सकता है।
दरअसल इस सबके पीछे सिर्फ मोदी और नेतिनयाहू के निजी संबंध कारक नहीं है, इन संबंधों को वर्तमान में दोनों देशों की परिस्थितियां और जरूरतें और मजबूत बना रही हैं, दरअसल इस्राइल को खुफिया तकनीकी और सैन्य साजो-सामान में महारत हासिल है तो वहीं कृषि और सिंचाई के क्षेत्र में वहां काफी प्रयोग किये गये हैं जो इस वक्त विकासशील भारत की जरूरत है, पाकिस्तान और चीन के साथ विवाद और आतंकवाद के कारण भारत को इस्राइल जैसे देशों की काफी मदद महसूस हो रही है, वहीं इस्राइल को भी भारत में बड़ा बाजार नजर आ रहा है। भारत में बीजेपी की सरकार है और वहां लिकुड पार्टी की, दोनों की विचारधारा में काफी सामजस्य है, दोनों दक्षिणपंथी हैं, ये भी एक कारण है, वहीं कारगिल युद्ध के समय इस्राइल ने ही भारत को तुरंत सैन्य साजो-सामान उपलब्ध कराया था, अमेरिका के दबाव में इस्राइल ने अवाक्स जैसी तकनीकी चीन को नहीं दी लेकिन भारत से सौदा हुआ, भारत अपनी सेना का आधुनिकीकरण और उच्च तकनीकीकरण चाहता है, ये सब वो कारक हैं जो दोनों देशों की दोस्ती को नये आयाम पर ले जा रहे हैं।
Editorial desk, Mirror
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