चीन और पाकिस्तान के खिलाफ भारत का खुफिया नौसेना प्रोजेक्ट तैयार, 7 साल से चल रहा था गुप्त निर्माण
समुंदर के नीचे दुश्मनों से लोहा लेने के लिए भारतीय नौसेना ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है। भारत का पहला परमाणु मिसाइल ट्रैकिंग जहाज आईएनएस ध्रुव को विशाखापत्तनम में नौसेना में शामिल कर लिया गया। 10 हजार टन वजनी इस जंगी जहाज का निर्माण इतना गोपनीय रखा गया था कि सिर्फ प्रधानमंत्री कार्यालय और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की निगरानी में ही इसे बनाने का काम 7 साल में पूरा हुआ। इस तरह का नौसैन्य मिसाइल ट्रैकिंग सिस्टम केवल फ्रांस, अमेरिका, ब्रिटेन, रूस और चीन के पास ही है। इस ट्रैकिंग पोत के जरिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारतीय नौसेना की ताकत में जबरदस्त इजाफा होगा।
यह जहाज मिसाइल को ट्रैक करने के साथ-साथ पृथ्वी की निचली कक्षा में सैटेलाइटों की निगरानी भी करेगा। लंबी दूरी तक परमाणु बैलिस्टिक मिसाइलों को ट्रैक करने की क्षमता होने से भारत की एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल क्षमता बढ़ेगी। इस शिप के केंद्रीय ढांचे का निर्माण 30 जून, 2014 को मोदी सरकार के आने के बाद शुरू किया गया था।
परमाणु मिसाइल ट्रैकिंग जहाज को भारतीय नौसेना के सामरिक बल कमान (एसएफसी) के साथ संचालित किया जाएगा। यह जहाज दुश्मन की पनडुब्बियों का पता लगाने के लिए समुद्र तल का नक्शा बनाने की क्षमता रखता है। यह जहाज भारतीय शहरों और सैन्य प्रतिष्ठानों की ओर जाने वाली दुश्मन की मिसाइलों के लिए एक प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के रूप में कार्य करेगा, जमीनी जंग के बीच चीन और पाकिस्तान समुद्री रास्ते का इस्तेमाल करते हुए भारत पर नौसैनिक शिप से बैलिस्टिक मिसाइल दाग सकते हैं। ऐसे में भारत का यह ट्रैकिंग और सर्विलांस शिप भारत की जमीनी सीमा को किसी मिसाइल या एयरक्राफ्ट के हमले से सुरक्षित करेगा। यह नया जहाज भारत की इलेक्ट्रॉनिक खुफिया-एकत्र करने वाली जासूसी एजेंसी एनटीआरओ को भी वास्तविक खतरे का मुकाबला करने में मदद करेगा।
अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित उत्तराखंड के समाचारों का एकमात्र गूगल एप फोलो करने के लिए क्लिक करें…. Mirror Uttarakhand News
( उत्तराखंड की नंबर वन न्यूज, व्यूज, राजनीति और समसामयिक विषयों की वेबसाइट मिरर उत्तराखंड डॉट कॉम से जुड़ने और इसके लगातार अपडेट पाने के लिए नीचे लाइक बटन को क्लिक करें)