स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति के संबोधन की महत्वपूर्ण बातें, चीन के दुस्साहस को लेकर भी कही कठोर बात
स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति ने देश को संबोधित करते हुए कहा कि जब विश्व समुदाय के समक्ष आई सबसे बड़ी चुनौती ( कोरोना ) से एकजुट होकर संघर्ष करने की आवश्यकता है, तब हमारे पड़ोसी ने अपनी विस्तारवादी गतिविधियों को चालाकी से अंजाम देने का दुस्साहस किया। सीमाओं की रक्षा करते हुए, हमारे बहादुर जवानों ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए। भारत माता के वे सपूत, राष्ट्र गौरव के लिए ही जिए और उसी के लिए मर मिटे। पूरा देश गलवान घाटी के बलिदानियों को नमन करता है। हर भारतवासी के हृदय में उनके परिवार के सदस्यों के प्रति कृतज्ञता का भाव है। उनके शौर्य ने यह दिखा दिया है कि यद्यपि हमारी आस्था शांति में है, फिर भी यदि कोई अशांति उत्पन्न करने की कोशिश करेगा तो उसे माकूल जवाब दिया जाएगा। हमें अपने सशस्त्र बलों, पुलिस तथा अर्धसैनिक बलों पर गर्व है जो सीमाओं की रक्षा करते हैं, और हमारी आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं।
इसके अलावा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि…..
1. इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस के उत्सवों में हमेशा की तरह धूम-धाम नहीं होगी। इसका कारण स्पष्ट है। पूरी दुनिया एक ऐसे घातक वायरस से जूझ रही है जिसने जन-जीवन को भारी क्षति पहुंचाई है और हर प्रकार की गतिविधियों में बाधा उत्पन्न की है। इस वैश्विक महामारी के कारण हम सबका जीवन पूरी तरह से बदल गया है।
2. यह बहुत आश्वस्त करने वाली बात है कि इस चुनौती का सामना करने के लिए, केंद्र सरकार ने पूर्वानुमान करते हुए, समय रहते,प्रभावी कदम उठालिए थे। इन असाधारण प्रयासों के बल पर, घनी आबादी और विविध परिस्थितियों वाले हमारे विशाल देश में, इस चुनौती का सामना किया जा रहा है। राज्य सरकारों ने स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार कार्रवाई की। जनता ने पूरा सहयोग दिया। इन प्रयासों से हमने वैश्विक महामारी की विकरालता पर नियंत्रण रखने और बहुत बड़ी संख्या में लोगों के जीवन की रक्षा करने में सफलता प्राप्त की है। यह पूरे विश्व के सामने एक अनुकरणीय उदाहरण है।
3. राष्ट्र उन सभी डॉक्टरों, नर्सों तथा अन्य स्वास्थ्य-कर्मियों का ऋणी है जो कोरोना वायरस के खिलाफ इस लड़ाई में अग्रिम पंक्ति के योद्धा रहे हैं। दुर्भाग्यवश, उनमें से अनेक योद्धाओं ने,इस महामारी का मुक़ाबला करते हुए,अपने जीवन का बलिदान दिया है। ये हमारे राष्ट्र के आदर्श सेवा-योद्धा हैं। इन कोरोना-योद्धाओं की जितनी भी सराहना की जाए, वह कम है। ये सभी योद्धा अपने कर्तव्य की सीमाओं से ऊपर उठकर, लोगों की जान बचाते हैं और आवश्यक सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करते हैं। ऐसे डॉक्टर, स्वास्थ्य-कर्मी, आपदा प्रबंधन दलों के सदस्य, पुलिस कर्मी,सफाई कर्मचारी, डिलीवरी स्टाफ,परिवहन, रेल और विमानन कर्मी,विभिन्न सेवा-प्रदाता, सरकारी कर्मचारी,समाजसेवी संगठन और उदार नागरिक, अपने साहस तथा निस्वार्थ सेवा के प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं। जब गांव और नगर में कामकाज रुक जाता है, और सड़कें सुनसान हो जाती हैं,तब अपने अथक परिश्रम से ये कोरोना योद्धा सुनिश्चित करते हैं कि लोगों को स्वास्थ्य-सेवाएं और राहत, पानी और बिजली,परिवहन और संचार सुविधा, दूध और सब्जी,भोजन और किराने का सामान, दवा और अन्य आवश्यक सुविधाओं से वंचित न होना पड़े। वे अपनी जान को भारी जोखिम में डालते हैं ताकि हम सब इस महामारी से सुरक्षित रहें और हमारा जीवन तथा आजीविका, दोनों चलती रहे।
4. इसी दौरान, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में आए‘अम्फान’ चक्रवात ने भारी नुकसान पहुंचाया, जिससे हमारी चुनौतियां और बढ़ गयीं। इस आपदा के दौरान, जान-माल की क्षति को कम करने में आपदा प्रबंधन दलों, केंद्र और राज्यों की एजेंसियों तथा सजग नागरिकों के एकजुट प्रयासों से काफी मदद मिली। पूर्वोत्तर और पूर्वी राज्यों में, देशवासियों को बाढ़ के प्रकोप का सामना करना पड़ रहा है। इस तरह की आपदाओं के बीच, समाज के सभी वर्गों के लोग,एकजुट होकर,संकट-ग्रस्त लोगों की मदद करने के लिए आगे आ रहे हैं।
5. इस महामारी का सबसे कठोर प्रहार, गरीबों और रोजाना आजीविका कमाने वालों पर हुआ है। संकट के इस दौर में, उनको सहारा देने के लिए, वायरस की रोकथाम के प्रयासों के साथ-साथ, अनेक जन-कल्याणकारी कदम उठाए गए हैं। ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना’ की शुरूआत करके सरकार ने करोड़ों लोगों को आजीविका दी है, ताकि महामारी के कारण नौकरी गंवाने, एक जगह से दूसरी जगह जाने तथा जीवन के अस्त-व्यस्त होने के कष्ट को कम किया जा सके। लोगों की मदद के लिए, सरकार अनेक कदम उठा रही है। इन प्रयासों में, कॉर्पोरेट सेक्टर, सिविल सोसायटी और नागरिकों का भरपूर सहयोग मिल रहा है।
6. किसी भी परिवार को भूखा न रहना पड़े, इसके लिए जरूरतमन्द लोगों को मुफ्त अनाज दिया जा रहा है। मुफ्त अनाज उपलब्ध कराने के, दुनिया के सबसे बड़े इस अभियान को, नवंबर2020 तक बढ़ा दिया गया है। इस अभियान से हर महीने, लगभग 80करोड़ लोगों को राशन मिलना सुनिश्चित किया गया है। राशन कार्ड धारक पूरे देश में कहीं भी राशन ले सकें, इसके लिए सभी राज्यों को ‘वन नेशन – वन राशन कार्ड’ योजना के तहत लाया जा रहा है।
7. दुनिया में कहीं पर भी मुसीबत में फंसे हमारे लोगों की मदद करने के लिए प्रतिबद्ध, सरकार द्वारा ‘वंदे भारत मिशन’ के तहत, दस लाख से अधिक भारतीयों को स्वदेश वापस लाया गया है। भारतीय रेल द्वारा इस चुनौती-पूर्ण समय में ट्रेन सेवाएं चलाकर, वस्तुओं तथा लोगों के आवागमन को संभव किया गया है।
8. अपने सामर्थ्य में विश्वास के बल पर, हमने कोविड-19के खिलाफ लड़ाई में अन्य देशों की ओर भी मदद का हाथ बढ़ाया है। अन्य देशों के अनुरोध पर, दवाओं की आपूर्ति करके, हमने एक बार फिर यह सिद्ध किया है कि भारत संकट की घड़ी में, विश्व समुदाय के साथ खड़ा रहता है। क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर महामारी का सामना करने के लिए प्रभावी रणनीतियों को विकसित करने में हमारी अग्रणी भूमिका रही है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अस्थायी सदस्यता के लिए, हाल ही में सम्पन्न चुनावों में मिला भारी समर्थन, भारत के प्रति व्यापक अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना का प्रमाण है।
9.भारत की यह परंपरा रही है कि हम केवल अपने लिए नहीं जीते हैं, बल्कि पूरे विश्व के कल्याण की भावना के साथ कार्य करते हैं। भारत की आत्मनिर्भरता का अर्थ स्वयं सक्षम होना है,दुनिया से अलगाव या दूरी बनाना नहीं। इसका अर्थ यह भी है कि भारत वैश्विक बाज़ार व्यवस्था में शामिल भी रहेगा और अपनी विशेष पहचान भी कायम रखेगा।
10. राष्ट्रपति ने कहा कि राम मंदिर का निर्माण देश की कानून व्यवस्था की जीत है।
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