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Category Archives: Literature

पहाड़ी नेताओं पर निशाना साधने वाला कुमाऊंनी तरीके का तीखा व्यंग्य

पहाड़ी नेताओं पर निशाना साधने वाला कुमाऊंनी तरीके का तीखा व्यंग्य

सोशल मीडीया में एक मैसेज बहुत आ रहा है कि माननीयो ने अपनी तो तनख्वाह बड़ा दी है, और सरकारी नौकरों की क्यों नहीं बड़ी , कह रहे ये कैसा Continue Reading »

“बाटा गोडाई क्या तेरो नौ च, बोल भौराणी कख तेरो गों च” और पंडित विशालमणि शर्मा

“बाटा गोडाई क्या तेरो नौ च, बोल भौराणी कख तेरो गों च” और पंडित विशालमणि शर्मा

उत्तराखंड के पहले प्रकाशक पं विशालमणि सेमवाल/शर्मा कल्पना करें कि, आज से ठीक 100 वर्ष पहले यानि 1917 के ऊपरी गढ़वाल की। भौगोलिक दृष्टि से एक सीमान्त क्षेत्र की। एक Continue Reading »

कहीं धीरे-धीरे खत्म तो नहीं हो रही हैं गढ़वाली और कुमाऊंनी भाषाएं

कहीं धीरे-धीरे खत्म तो नहीं हो रही हैं गढ़वाली और कुमाऊंनी भाषाएं

भारत कई भाषाओं की भूमि है। एक लोकप्रिय कहावत है “कोस कोस पर पानी बदले, चार कोस पर वाणी” मतलब भारत एक ऐसी जगह है जहाँ हर कुछ किलोमीटर में Continue Reading »

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