संस्कृति
लॉकडाउन से पर्यावरण के घाव भर रहे हैं, पढ़िए विश्लेषण करता हुआ आलेख
नगरों में हिरनों का विचरण, माँ गंगा के जल का चांदी के समान स्वच्छ एवम प्रदूषण रहित होना अपने आप में मनुष्य को जीव जंतुओं एवम प्रकृति के साथ एकात्मक भाव से रहने के उस विसरित ज्ञान की पुनरावृत्ति कर पुनः स्थापित करने हेतु स्वम् प्रकृति द्वारा किये जाने वाली एक अनूठी प्रक्रिया का ही हिस्सा है। प्रकर्ति द्वारा मानवहित में यह स्वछता भरा अभियान कई स्वछता अभियानों की धज्जियां…
उत्तराखंड : खड़ी, बैठकी और महिला होली में रमे हुए हैं कुमाऊं के गांव और घर, होली के Video देखिए
उत्तराखंड ( Uttarakhand) के कुमाऊं में होली का त्यौहार एक अलग तरह से मनाया जाता है, जिसे कुमाऊँनी होली कहते हैं। कुमाऊँनी होली का अपना ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्त्व है। यह कुमाऊँनी लोगों के लिए सबसे महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है, क्योंकि यह केवल बुराई पर अच्छाई की जीत का ही नहीं, बल्कि पहाड़ी सर्दियों के अंत का और नए बुआई के मौसम की शुरुआत का भी प्रतीक है, जो इस उत्तर भारतीय…
Video देहरादून से चमोली तक होली में गांव-गांव में बज रहा है नरेंद्र सिंह नेगी का ये गीत, गढ़वाल में होली की धूम
उत्तराखंड में होली का पर्व पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है, जहां पहाड़ों पर पिछले कुछ हफ्तों से लगातार गांव गांव में हो रहा होली गायन अपने चरम पर आ गया है, वहीं मैदानी इलाकों में होलिका दहन के साथ होली के पर्व की शुरुआत हो गई है। कुमाऊं में जहां खड़ी होली, बैठकी होली और महिला होली के दौर जारी हैं, वहीं गढ़वाल में भी गांव गांव…
पढ़िए कैसे उत्तराखण्ड के सांस्कृतिक प्रतिनिधि हैं लोकोत्सव और मेले – डा. नंदकिशोर हटवाल
उत्तराखण्ड के सांस्कृतिक प्रतिनिधि हैं लोकोत्सव और मेले उत्सव, मेले और त्योहारों का मनुष्य के सामाजिक जीवन में अहम् स्थान होता है। वो किसी भी देश, धर्म, सम्प्रदाय में निवास करता हो लेकिन स्वभावतः मनुष्य उत्सव प्रेमी है। विभिन्न प्रकार के धर्म और सम्प्रदायों में विश्वास करते हुए पूरी दुनियां में मनुष्यों ने हजारों प्रकार के उत्सवों का सृजन किया। कुछ उत्सव खानपान, रहन-सहन के तौर तरीकों के साथ छोटे…
उत्तराखंड की केदारघाटी के गांवों में पांडव नृत्य, देवभूमि की अदभुत परंपरा को जानिए
आपने रामलीला या कृष्णलीला तो सुनी होगी, लेकिन क्या कभी आपने पांडव लीला के बारे में सुना है ? दरअसल उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों खासकर केदारघाटी में पांडव लीला का आयोजन किया जाता है। उत्तराखंड से पांडवों का गहरा रिश्ता रहा है, अपने वनवास के दौरान पांडवों को उत्तराखंड के जौनसार इलाके के राजा विराट ने शरण दी थी, वहीं जब पांडव अपने जीवन के अंतिम दौर में स्वर्ग की…
उत्तराखंड : यहां दशहरे में दो गांवों में होता है युद्ध, एक पुराने श्राप से मुक्ति के लिए करते हैं ऐसा
देश में जहां दशहरे के दिन रावण दहन की परंपरा है वहीं उत्तराखंड में एक स्थान ऐसा है जहां 2 गांव के बीच लड़ाई होती है। इस युद्ध के पीछे एक पुराना श्राप है, दोनों गांव के लोग इस शराब से मुक्ति के लिए दशहरे के दिन पूरी तैयारी के साथ युद्ध करते हैं। हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर के उपाल्टा और कुरोली गांव…
नवरात्रि विशेष : देवभूमि में यहां मवेशियों की रक्षा के लिए देवी ने लिया झूलादेवी का रूप, दूर-दूर तक है मान्यता
देवभूमि उत्तराखण्ड सदैव ही देवों की तपोभूमि रहा है , इस कारण यह अटूट एंव अगाध आस्था का केन्द्र भी रहा है | नवरात्रों में मंदिरों में चहल पहल एंव भीड़ बढ जाती है | रानीखेत के आसपास झूलादेवी, कालिका मंदिर , मनकामेश्वर मंदिर, पंचेश्वर मंदिर, शिव मंदिर आदि मंदिरों में भक्तों को भीड़ लगी रह रही है | नवरात्रों में इन मंदिरों में एक प्रमुख स्थान मां झूला देवी…
सौंदर्य व एकता की प्रतीक देवभूमि के गाँवों की बाखलियां, खत्म होने के कगार पर
देवभूमि उत्तराखण्ड सदैव ही अपनी संस्कृति, सभ्यता, परंपरा एंव प्राकृतिक एंव आध्यात्मिक सौंदर्य के लिए विश्व विख्यात रहा है | यहाँ के गाँवों में परम्परागत एंव क्रमबद्ध निर्मित घरों को बाखलियाँ कहा जाता है , देवभूमि के ये परंपरागत घर बाखलियां सदैव ही एकता की वाहक रही हैं ।जिसमें एक ही आंगन से अनेक घर व परिवार जुड़े रहते हैं | पूर्व में इन्में अधिकाशतः संयुक्त परिवार निवास करते थे…
लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी को मिलेगा संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, मुख्यमंत्री ने घर जाकर बधाई दी
संगीत, नाटक, नृत्य, वादन एवं गायन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए दिए जाने वाले पुरस्कार संगीत नाटक अकादमी की घोषणा हो गई है। इसमें गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी का नाम भी शामिल है। नरेन्द्र सिंह नेगी उत्तराखण्ड के गढवाल हिस्से के मशहूर लोक गीतकारों में से एक है। कहा जाता है कि अगर आप उत्तराखण्ड और वहाँ के लोग, समाज, जीवनशैली, संस्कृति, राजनीति, आदि के बारे में जानना चाहते…
पढ़िए हरिद्वार ही क्यों आते हैं कांवड़िए गंगाजल लेने, आज से शुरू हो गई कांवड़ यात्रा
आज से कांवड़ यात्रा की शुरुआत हो गई है, इस मौके पर पवित्र गंगाजल लेने शिवभक्त हरिद्वार पहुंचना शुरू हो गए हैं। इसको देखते हुए धर्मनगरी हरिद्वार में पूरी तैयारियां की गई हैं, सुरक्षा और व्यवस्था के स्तर पर पुलिस और प्रशासन की ओर से कावड़ियों की इस यात्रा को सुगम बनाने की पूरी कोशिश की जा रही है। दरअसल सावन में कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व है। मान्यता है…