अस्थमा का काल है सिर्फ 2 लौंग, जड़ से करती हैं सफाया
- अस्थमा में सिर भारी-भारी लगता है।
- प्रदूषण के चलते अस्थमा का रोग तेजी से बढ़ रहा है।
- अधिक चलने के बाद उल्टी भी होती है महसूस।
शहरों में बढ़ रहे प्रदूषण के चलते अस्थमा का रोग तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे माहौल में लोगों के लिए सांस लेना तक दूभर हो गया है। अस्थमा के मरीजों के लिए बढ़ती ठंड और प्रदूषण दोनों ही नुकसानदायक होते हैं। सबसे ज्यादा चिंता की बात ये है कि ना सिर्फ वृद्ध बल्कि छोटे छोटे बच्चे भी अस्थमा की चपेट में आ रहे हैं। हालांकि देखा जाए तो जिन लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। वे जल्दी अस्थमा की चपेट में आते हैं।
जब कभी धूल भरी आंधी आए तो ऐसे वातावरण में अस्थमा रोगियों को जाने से बचना चाहिए। ये उनकी परेशानी को काफी हद तक बढ़ा सकते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सावधानी बरती जाए तो अस्थमा से बचाव संभव है। इस बीमारी में घरेलू नुस्खे अपना कर भी स्वस्थ रहा जा सकता है। अस्थमा की बीमारी को अगर समय रहते काबू कर लिया जाए तो इसके गंभीर अंजाम से बचा जा सकता है। अस्थमा के उपचार के लिए सबसे पहले इसके लक्षणों को पहचानना जरूरी है।