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जड़ों से जुड़े रहने की ललक, बेंगलुरु में आयोजित हुई कुमाऊंंनी और गढ़वाली संस्कृति की क्लास

उत्तराखंड की धरोहरों को बचाने के लिए बहुत से कार्य, सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा हो रहे हैं । व्यक्तिगत व संस्थाएं भी इस मुहीम में ऐसे कार्यों में लगी हुई हैं । कुछ ऐसे ही कार्य उत्तराखंड महासंघ बेंगलुरु द्वारा इस शनिवार व रविवार को आयोजित किया गया। अपनी बोली भाषा व संस्कृति को आने वाली पीढ़ी से जोड़ने के लिए ईगल्स अनबाउंड में आयोजित पहाड़ी कनेक्ट कार्यक्रम…

आज के ही दिन पेशावर में वीर चंद्र सिंह गढ़वाली ने दिया था अंग्रेजों को कड़ा जवाब, जानिए इस इतिहास को

वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली (25 दिसम्बर, 1891 – 1 अक्टूबर 1979) को भारतीय इतिहास में पेशावर कांंड के नायक के रूप में याद किया जाता है। २३ अप्रैल १९३० को हवलदार मेजर चन्द्र सिंह गढवाली के नेतृत्व में रॉयल गढवाल राइफल्स के जवानों ने भारत की आजादी के लिये लड़ने वाले निहत्थे पठानों पर गोली चलाने से मना कर दिया था। बिना गोली चले, बिना बम फटे पेशावर में इतना बड़ा धमाका हो…

पहाड़ के रग-रग में बसी हुई है घुघुती, चैत के महीने से है विशेष लगाव, गीतों और लोककथाओं में घुघुती

घुघुती पक्षी उत्तराखंड के लोक में इस तरह से रची बसी है कि इसके बिना पहाड़ के लोक की परिकल्पना संभव नहीं है। घुघुती कि आवाज सुनने के लिए लोग तरस जाते हैं। एक बार जो घुघुती के सुरीली घुरून सुन ले वो कभी भी घुघुती को भूल नहीं सकता है। इसकी सुरीली आवाज को सुनने के लिए हर किसी का बार बार मन करता है। घुघुती को संदेश वाहक…

मां पूर्णागिरि धाम मेले का हुआ उद्घाटन, पहले दिन डेढ़ लाख के करीब भक्त पहुंचे, पढ़िए इस शक्तिपीठ के बारे में

उत्तर भारत के सुप्रसिद्ध मां पूर्णागिरि धाम में आज मेले का उद्घाटन हुआ, पहले दिन भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। पहले दिन करीब डेढ़ लाख से ज्यादा श्रद्धालु धाम पहुंचे। शुक्रवार रात 8 बजे से पूर्णागिरि मार्ग में भारी भीड़ के कारण जाम लगा रहा जो शनिवार दोपहर तक जारी था।  पूर्णागिरि माता का मंदिर उत्तराखंड में टनकपुर से 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, माँ पूर्णागिरि का मंदिर…

पढ़िए अपनी राशि के अनुसार कौन सा रंग खेलें, होली दे सकती है शुभ समाचार

हिन्दू धर्म में त्योंहारों का अपना विशेष महत्व होता हैं। जिसमें से एक है रंगों का त्योंहार अर्थात होली। कहते हैं न कि हर रंग कुछ दर्शाता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार हर रंग किसी ना किसी राशि से जुड़ा हुआ हैं जो उस व्यक्ति के शुभ-अशुभ का निर्णय भी करता हैं। इसलिए होली खेलते समय अगर आप राशि के अनुसार रंग का चुनाव करें तो यह शुभ फलदायक होता हैं।…

मेरा बाजू रंगा रंग….पहाडी होली के रंग में रंगा सिलिकाॅन वेली बंगुलुरू, ढोल- दमाऊं की थापों पर जमकर थिरके उत्तराखंडी

पूरा देश होली के रंगों में रंगने को तैयार बैठा है। चारों ओर होली के रंगों की महक महसूस की जा सकती है। आखिर हो भी क्यों नहीं, रंगों का ये त्यौहार साल में एक बार ही तो आता है। अपनी माटी से दूर रह रहे उत्तराखण्डी प्रवासियों के संग़ठन उत्तराखंड महासंघ द्वारा सिलिकाॅन वेली बंगुलुरू में होली मिलन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें सिलिकाॅन वेली भी पहाड़ी होली…

देखिये ‘ फूल देई ‘ का त्योहार अमेरिका में, परंपरा को यहां भी जीवित रखा है प्रवासी उत्तराखंडियों ने

उत्तराखण्ड के लोक पर्व ‘फूल देई छम्मा देई’ की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई। उत्तराखंड की धरती पर अलग-अलग ऋतुओं के अनुसार पर्व-त्योहार मनाए जाते हैं,ये पर्व एक ओर हमारी संस्कृति को उजागर करते हैं, तो दूसरी ओर प्रकृति के प्रति पहाड़ के लोगों के सम्मान और प्यार को भी दर्शाते हैं, इसके अलावा पहाड़ की परंपराओं को कायम रखने के लिए भी ये पर्व-त्योहार खास हैं। इस त्योहार को फूल…

गोलू देवता की कथा का तीसरा भाग, जब नवजात गोरिया को अपना सच पता चलने लगा

जैसा कि हम जानते हैं कि पिछले कुछ हफ्तों से हमने उत्तराखंड के देवी-देवताओं पर आपको लगातार जानकारी देने के लिए एक सीरीज शुरू की है, जिसमें हम आपको सबसे पहले उत्तराखंड में न्याय के लिए जाने जाने वाले गोलू देवता की जीवन कथा से परिचित करा रहे हैं । उत्तराखंड की दैव संस्कृति को करीब से जानने वाले भैरव जोशी आपको लगातार ये जानकारी दे रहे हैं । अभी…

उत्तराखंड के प्रसिद्ध गोलू देवता की जीवन कथा, न्याय के लिए हैं प्रसिद्ध

गोलू देवता की कहानी के पिछले हिस्से में आपने पड़ा कि नवजात गोलू देव को उनकी सात सौतेली मां एक लोहे के संदूक में डालकर नदी में बहा देती हैं… ( पिछले हिस्से की कहानी पड़ने के लिए क्लिक करें ) कथा का अगला भाग.. सातों रानियो ने बालक को लोहार द्वारा बने लोहे के संदूक में लिटाकर और सन्दूक में ताला लगा कर काली नदी में बहा दिया, हवा…

उत्तराखंड के देवी-देवता : न्याय के लिए प्रसिद्ध गोलू देव की कथा

दोस्तो उत्तराखंड देवभूमि है, यहां के कण-कण में देवताओं का वास है, हमारी इस खास सीरीज ” उत्तराखंड के देवी-देवता ” में हम राज्य में प्रसिद्ध देवी-देवताओं की कथा आपको बताएंगे, ताकि नई पीढ़ी उत्तराखंड की संस्कृति और परंपरा को समझ सके, भैरव जोशी आपको परिचित करवाएंगे, हमारे देवी-देवताओं से, सबसे पहले शुरुआत कर रहे हैं न्याय के लिए प्रसिद्ध गोलू देवता से, जिनका चितई मंदिर खासा लोकप्रिय है, तो…

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