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जोशीमठ ताजा अपडेट, दरारों का पैटर्न कर रहा चिंतित, दो और होटल एक-दूसरे पर झुके, बढ़ रही हैं दरारें

जोशीमठ ताजा अपडेट, दरारों का पैटर्न कर रहा चिंतित, दो और होटल एक-दूसरे पर झुके, बढ़ रही हैं दरारें

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by January 15, 2023 News

15 Jan. 2023. Joshimath. जोशीमठ में जहां एक ओर दो होटलों के झुकाव के कारण उन्हें तोड़ने का काम जारी है, वहीं शहर के दो अन्य होटलों में भी इस तरह का झुकाव आ गया है, दोनों होटल एक दूसरे पर झुक गए हैं। वहीं जोशीमठ में दरारें भी काफी चिंतित कर रही हैं, कुछ दरारों में पहले से 1 मिलीमीटर जितना फर्क आया है, हालांकि इसे मामूली माना जा रहा है।

एक तरफ होटल मलारी और माउंटव्यू को तोड़ने का काम जारी है, ये दोनों होटल भूधंसाव के कारण एक दूसरे पर झुक गए थे, वहीं हाईवे के दो होटलों में भी अब इस तरह का झुकाव देखा गया है। होटल कामेट लॉज और स्नो क्रिस्ट एक दूसरे पर झुक गए हैं। बदरीनाथ हाईवे पर आई हुई दरारों को भर दिया गया था, लेकिन हाईवे पर फिर से दरार आई हैं, जोशीमठ को औली से जोड़ने वाले रोपवे के बेस और टावरों के पास भी दरारें उभर कर आ गई है। घरों में नई दरारें आने और पुरानी दरारों के चौड़े होने का क्रम जारी है। अब यहां दरारों के पैटर्न पर ध्यान रखा जा रहा है, पहाड़ी जमीन में आ रही तिरछी दरारें अगर यहां आपस में मिल जाती हैं तो बड़ी परेशानी खड़ी कर सकती हैं। जेपी कॉलोनी में जहां झरना फूट गया था, वहां बीच में पानी कम हो गया था लेकिन फिर वहां पानी की मात्रा बढ़ गई है। इलाके में 2 दिन पहले हुई बारिश के कारण ऐसा हुआ हो सकता है, 18 जनवरी से एक बार फिर उत्तराखंड के इन इलाकों में बारिश का पूर्वानुमान जताया गया है, ऐसे में प्रशासन की चिंता काफी बढ़ गई है।

सचिव आपदा प्रबन्धन डा. रंजीत कुमार सिन्हा ने रविवार को जोशीमठ नगर क्षेत्र में पहुंचकर औली रोपवे, मनोहरबाग, शंकराचार्य मठ, जेपी कालोनी आदि भू-धंसाव प्रभावित क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण किया।

सचिव आपदा प्रबन्धन डा. रंजीत कुमार सिन्हा ने रविवार को जोशीमठ नगर क्षेत्र में पहुंचकर औली रोपवे, मनोहरबाग, शंकराचार्य मठ, जेपी कालोनी आदि भू-धंसाव प्रभावित क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण किया। इस दौरान उनके साथ भू-वैज्ञानिक तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे |

सचिव आपदा प्रबंधन ने औली रोपवे तथा शंकराचार्य मठ के निकट के क्षेत्र तथा घरों में पड़ी दरारों का निरीक्षण किया | सचिव डॉ रंजीत कुमार सिन्हा ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि मकानों मे पड़ी दरारों तथा भू-धंसाव के पैटर्न रूट की निरंतर मॉनिटरिंग की जाए | उन्होंने औली रोपवे के टावर पर दरारों की मॉनिटरिंग के निर्देश दिए | डॉ सिन्हा ने संबंधित अधिकारियों को दरारों के पैटर्न तथा बढ़ोतरी की निरंतर मॉनिटरिंग सुनिश्चित करने को कहा |उन्होंने जानकारी दी कि राष्ट्रीय भू-भौतिकीय अनुसंधान संस्थान ( एनजीआरआई ) हैदराबाद द्वारा प्रभावित क्षेत्र का भु-भौतिकीय अध्ययन किया जा रहा है | एनजीआरआई अंडर ग्राउंड वाटर चैनल का अध्ययन कर रही है | अध्ययन के पश्चात एनजीआरआई द्वारा जियोफिजिकल तथा हाइड्रोलाॅजिकल मैप भी उपलब्ध कराया जायेगा। यह मैप जोशीमठ के ड्रेनेज प्लान तथा स्टेबलाइजेशन प्लान में काम आएंगे |

सचिव आपदा प्रबंधन डॉ रंजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि भू-धंसाव से प्रभावित जोशीमठ क्षेत्र की समस्याओं के समाधान की दिशा में हम कदम दर कदम आगे बढ़ रहे हैं। प्रभावित लोगों को त्वरित राहत एवं बचाव पहुंचाना राज्य सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता है। प्रभावित परिवारों को तात्कालिकता के साथ सुरक्षित स्थानों में भेजा जा रहा है। प्रभावित भवनों के चिन्हीकरण का कार्य निरन्तर जारी है। भूवैज्ञानिकों तथा विशेषज्ञों की टीमें भूधसांव के कारणों की जांच के कार्य में लगी है। प्रशासन प्रभावितों के निरन्तर सम्पर्क में है। राहत शिविरों में उनकी मूलभूत सुविधाओं का ध्यान रखा जा रहा है। उन्होंने जानकारी दी कि सीबीआरआई, आईआईटी रुड़की, वाडिया इन्संटीयूट, जीएसआई, आईआईआरएस तथा एनजीआरआई जोशीमठ में कार्य कर रही है |

हल्द्वानी, 15 जनवरी, 2023, हल्द्वानी से जोशीमठ आपदा पीड़ितों के लिए दो ट्रक खाद्य रसद सामग्री कपड़े और कंबल भेजे गए हैं जिसे केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने हरी झंडी दिखाकर हल्द्वानी से रवाना किया है। खाद्य रसद सामग्री के ट्रक रवाना करते हुए केंद्रीय मंत्री अजय भट्ट ने कहा कि जोशीमठ के प्रशासन और वहां के व्यापार मंडल से वार्ता के बाद हल्द्वानी के मंडी व्यापारियों को व्यापार मंडल द्वारा उन आवश्यक चीजों को भेजा जा रहा है जिसकी मांग सबसे ज्यादा है। उन्होंने कहा कि रसद सामग्री में ड्राई राशन किट, कंबल, टोपी, शॉल और अन्य आवश्यकताओं की चीजें हैं अभी दो ट्रक राहत सामग्री भेजी जा रही है। पूरे देश और दुनिया के लोग जोशीमठ की मदद करना चाहते हैं। सरकार भी अपने स्तर पर कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही। वैज्ञानिक और भूगर्भ शास्त्री के साथ ही सरकार भी किस तरह जोशीमठ को बचाया जाए उस पर लगातार मॉनिटरिंग कर रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं जोशीमठ को लेकर चिंतित हैं इससे स्पष्ट है कि पूरी संजीदगी के साथ सरकार द्वारा कार्य किए जा रहे हैं।

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