जोशीमठ में धरती का तांडव, जमीन फटने से खतरे में आए लोग लगा रहे सरकार से मदद की गुहार, राजमार्ग को जाम किया
5 Jan. 2023. Joshimath. जोशीमठ शहर भू-धंसाव की जद में है। अभी तक 584 मकान, होटल इसकी जद में आ चुके हैं। आपदा प्रबंधन विभाग का कहना है कि जोशीमठ की स्थिति चिंताजनक है। दरकते पहाड़ों ने लोगों की जिंदगी थाम दी है। जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के जोशीमठ में आज चक्काजाम और बाजार बंद का एलान के चलते आज यहां सैकड़ों की संख्या में लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। भू धसाव से प्रभावित जोशीमठ क्षेत्र के लोगो ने बदरीनाथ हाईवे 07 जोशीमठ में जाम किया। प्रभावित परिवार हाईवे पर बैठकर धरना दे रहे हैं।
संघर्ष समिति के अध्यक्ष शैलेंद्र पंवार ने बताया कि प्रभावित परिवारों में शासन-प्रशासन के खिलाफ आक्रोश है। विरोध प्रदर्शन के चलते औली रोड पर एक किलो मीटर का लंबा जाम भी लग गया। जोशीमठ संघर्ष समिति के आह्वान पर बुधवार को भी देर शाम लोगों ने हाथ में मशाल लेकर बदरीनाथ स्टैंड से मारवाड़ी चौक तक सरकार और एनटीपीसी के खिलाफ प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में प्रभावित परिवार भी शामिल हुए। अभी तक जोशीमठ क्षेत्र से 27 परिवारों के 120 लोग शिफ्ट किए जा चुके हैं।
भू-धंसाव की चपेट में ज्योतिर्मठ परिसर भी आ गया है। परिसर के भवनों, लक्ष्मी नारायण मंदिर के आसपास बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गई हैं। ज्योतिर्मठ के प्रभारी ब्रह्मचारी मुकुंदानंद ने बताया कि मठ के प्रवेश द्वार, लक्ष्मी नारायण मंदिर और सभागार में दरारें आई हैं। इसी परिसर में टोटकाचार्य गुफा, त्रिपुर सुंदरी राजराजेश्वरी मंदिर इसकी चपेट में आ चुके हैं।
प्रशासन द्वारा अब तक कराए गए तकनीकी सर्वे के आधार पर जो कारण सामने आ रहे हैं, उसके अनुसार शहर से पानी की निकासी बाहर नहीं होना और अलकनंदा नदी का भूकटाव इसका कारण माना जा रहा है। वहीं स्थानीय लोग इसके लिए एनटीपीसी की एक टनल और ऑल वेदर रोड बाईपास निर्माण के काम को भी जिम्मेदार ठहराते हैं। वही एनटीपीसी की ओर से हाल ही में टनल के इलाके का दौरा कुछ स्थानीय पत्रकारों को कराया गया था और बताया गया था कि एनटीपीसी का काम काफी सुरक्षित तरीके से चल रहा है।
स्थानीय लोग बताते हैं कि जोशीमठ में इस तरह का भू धंसाव काफी पहले भी हुआ है, तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने 1970 में एक कमेटी भी बनाई थी, कमेटी के निर्णय में बताया गया था कि जोशीमठ ग्लेशियर के द्वारा लाई गई मिट्टी पर बसा हुआ इलाका है, ऐसे में यह भूस्खलन और भू धंसाव के लिए काफी संवेदनशील है।
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