गढ़वाली और कुमाऊनी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करवाने की मांग, मुख्यमंत्री, साहित्यकारों और मंत्रियों से मुलाकात
1 July. 2023. Dehradun. उत्तराखण्ड लोक भाषा साहित्य मंच दिल्ली ने गढ़वाली कुमाऊनी भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की पुरजोर मांग की है।
गौरतलब है कि उत्तराखण्ड लोक-भाषा साहित्य मंच दिल्ली द्वारा गढ़वाली, कुमाउनी भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने हेतु लगातार प्रयास किया जा रहा है। इसी कड़ी में गत दिवस मंच के एक प्रतिनिधिमंडल ने यहां देहरादून में उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, भाषा मंत्री सुबोध उनियाल, डोईवाला विधायक बृजभूषण गैरोला समेत कई विधायकों से देहरादून में मुलाकात करके मांग पत्र सौंपा, जिसमें उत्तराखण्ड सरकार से मांग की गई कि सरकार आगामी विधानसभा सत्र में गढ़वाली कुमाउनी भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव सदन में चर्चा के बाद पास करके केंद्र सरकार को भेजे। प्रस्ताव में केन्द्र सरकार से मांग की जाए कि शीघ्र गढ़वाली और कुमाऊनी भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए।
मुख्यमंत्री एवं भाषा मंत्री से मुलाकात करने वाले प्रातिनिधिमण्डल में उत्तराखण्ड लोक भाषा साहित्य मंच दिल्ली के संयोजक दिनेश ध्यानी, अनिल कुमार पंत, जयपाल सिंह रावत, दर्शन सिंह रावत, जगमोहन सिंह रावत जगमोरा, सुशील बुडाकोटी आदि शामिल थे।
प्रतिनिधि मण्डल ने देहरादून में अनेक साहित्यकारों जिनमें रमा़कांत बेंजवाल, मदन मोहन डुकलाण, लोकेश नवानी, दिनेश शास्त्री बीना बेंजवाल, गणेश खुगशाल गणी, आशीष सुन्दरियाल आदि से भी मुलाकात की और उनसे अनुरोध किया कि उत्तराखण्ड में सभी साहित्यकार व भाषा प्रेमी इस मांग को और अधिक मुखर होकर उठायें।
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