Uttarakhand बड़ा सवाल, मुख्यमंत्री तीरथ कहां से लड़ेंगे चुनाव, बीजेपी की देहरादून में हुई महत्वपूर्ण बैठक
राज्य में जैसे-जैसे कोविड-19 के मामले घट रहे हैं, राजनीतिक दलों की सक्रियता भी बढ़ रही है। शुक्रवार को शाम को बीजेपी ने एक महत्वपूर्ण बैठक की जिसमें मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने भी हिस्सा लिया, वहीं दूसरी ओर शुक्रवार को राज्य के सभी जिलों में कांग्रेस की ओर से पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों पर विरोध प्रदर्शन देखा गया। देहरादून में राज्य बीजेपी की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, इस बैठक में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने भी हिस्सा लिया। बैठक में प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सहित पार्टी के प्रदेश संगठन महामंत्री और दूसरे महामंत्रियों ने हिस्सा लिया।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस बैठक में राज्य में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर विभिन्न चिंतन बैठकों के आयोजन के साथ-साथ जल्द ही मुख्यमंत्री के किसी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने को लेकर चर्चा हुई है। दरअसल मुख्यमंत्री अभी सांसद हैं और जल्द ही उनको किसी विधानसभा से विधायक निर्वाचित होना है। फिलहाल गंगोत्री विधायक की मौत हो जाने के कारण गंगोत्री की सीट खाली है, हालांकि इस बारे में अभी किसी तरह की कोई औपचारिक जानकारी नहीं है कि मुख्यमंत्री किस विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने संवाददाताओं से बातचीत में स्वीकार किया कि मुख्यमंत्री के चुनाव लड़ने को लेकर बैठक में विचार किया गया। कौशिक ने कहा कि 8 से 10 विधायक मुख्यमंत्री के लिए अपनी सीट छोड़ने के लिए तैयार हैं, हालांकि इस बारे में अभी कोई फाइनल निर्णय नहीं लिया गया है।
वहीं बैठक के बाद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कांग्रेस और विपक्षी दलों के पेट्रोल डीजल की कीमतो में वृद्धि पर धरना प्रदर्शन जान बूझकर हकीकत से आँख चुराने जैसा बताया। कौशिक ने कहा कि अंतराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत में तेजी का असर भारत के घरेलू बाजार पर स्पष्ट तौर पर पड़ा। यह तथ्य किसी से छिपा नहीं है कि भारत अपनी जरुरत का 80 प्रतिशत तेल आयात करता है। इसका असर कुछ समय जरूर उपभोक्ताओ पर पड़ रहा है, लेकिन कांग्रेस इस पर शोर मचाने के बजाये उसके शासित प्रदेशो में वेट की दर घटाकर जनता को राहत देने का कहीं भी कोई उदाहरण सामने नहीं आया।
कांग्रेस शासित महारास्ट्र,राजस्थान और छत्तीसगढ और पंजाब जैसे राज्यों में तेल पर वेट अधिक है जो देश में सर्वाधिक है। राजस्थान में 38 प्रतिशत तेल पर वेट लगाया गया है तो महाराष्ट्र में 42 प्रतिशत तक वेट चार्ज किया जा रहा है। वहीं पंजाब में 36 प्रतिशत वेट तेल पर लगाया जा रहा है। दूसरी ओर भाजपा शासित कई प्रदेशो में सरकार ने वेट में कमी कर लोगो को राहत दी है। उदाहरण के तौर पर उत्तराखंड में पेट्रोल और डीज़ल पर वेट 27.15 है तो यूपी में यह 26.90 है। पेट्रोल पम्प में धरना प्रदर्शन करने वाले नेताओंं की ओर से भी कभी ऐसा कोई प्रस्ताव हाई कमान को नही गया कि वेट घटाकर जनता को राहत दी जाए।
कोरोना काल में सेवा कार्यों के बजाय कांग्रेस इसे अवसर के तौर पर देख रही है। विपक्षी कांग्रेस पेट्रोल-डीजल की कीमतो को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रही है, लेकिन उसे जनता की समस्या को लेकर कोई लेना देना नहीं है। वह अपने शासित प्रदेशो में लोगों को वैट घटाकर राहत दे सकती है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में देश भर में अन्तर्कलह और गुटबाजी को लेकर तमाम तरह की सुर्खिया है और कांग्रेस चुनाव को देखते हुए लोगों का ध्यान भटकाने और माहौल बनाने के लिए इस तरह के दुष्प्रचार कर रही है। जनता तो कांग्रेस की हकीकत को समझती ही है, लेकिन प्रदेश में उसके नेताओंं को चाहिये कि वह अपने दल के नेताओंं को भी मार्गदर्शन दे कि कैसे जनता को राहत दी जाए।
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