Uttarakhand जब एक DM ने देखा तड़पती गर्भवती महिलाओं को डोली में लाने का दर्द, फिर क्या हुआ पढ़ें
उत्तराखंड के पहाड़ों में आज भी जंगलों के बीच में कई ऐसे गांव हैं जहां या तो सड़कें नहीं पहुंची या सड़क पहुंचाना काफी मुश्किल काम है या वन अधिनियम के बीच में आने के कारण सड़कें नहीं पहुंच पाई हैं। ऐसे गांव में सबसे बड़ा दर्द रहता है प्रसव वेदना से तड़पती गर्भवती महिलाओं और बीमार मरीजों का। ऐसे लोगों को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए उत्तराखंड में डोली की व्यवस्था की जाती है और कहीं-कहीं चारपाई में ही ऐसे लोगों को लिटाकर लोग कठिन पहाड़ों में पैदल चलकर अस्पताल तक पहुंचाते हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं उत्तराखंड के एक जिले के एक जिलाधिकारी की ऐसी योजना जो ऐतिहासिक है। आगे पढ़िए जिलाधिकारी ने अपने जिले के दूरदराज के गांवों में देखा वहां गर्भवती महिलाओं और मरीजों को डोली से कठिन पहाड़ों में काफी पैदल चलकर अस्पताल पहुंचाया जाता है, फिर क्या ऐतिहासिक कदम उठाया…..
दरअसल नैनीताल के जिलाधिकारी सविन बंसल ने अपने जिले में दूरदराज के इलाकों में ग्रामीण महिलाओ का वो दर्द देखा जिन्हें अस्पताल में प्रसव कराने के लिए गांव अथवा परिवार के लोग रातबिरात डोली मे लेकर सडक हैड या अस्तपाल पहुंंचते है। इस संघर्ष में कभी-कभी जच्चा तथा बच्चा को जान से भी हाथ धोना पडता है। इस समस्या एवं इस कार्य की संवेदनशीलता पर मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुये जिलाधिकारी बंसल ने जनपद के पर्वतीय इलाकों के विकास खण्ड धारी, रामगढ, ओखलकांडा, बेतालघाट व भीमताल के ग्रामीण क्षेत्रों में गर्भवती महिलाओं को प्रसव हेतु अस्पतालों तक लाने के लिए डोली व्यवस्था हेतु 10 लाख की धनराशि स्वीकृत कर दी है।
नैनीताल उत्तराखंड का पहला जनपद है जहां किसी जिलाधिकारी द्वारा संस्थागत प्रसव तथा गर्भवती महिला एवं शिशु की सुरक्षा के लिए डोली व्यवस्था को कारगर बनाते हुये इतनी बढ़ी धनराशि स्वीकृत की है। जिलाधिकारी ने कहा कि और धनराशि की जरूरत पडेगी तो वह भी दी जायेगी। उन्होने कहा कि गर्भवती महिलाओं को त्वरित उपचार मिले व सुरक्षित संस्थागत प्रसव से जच्चा-बच्चा मृत्यु दर भी घटेगी। जिलाधिकारी ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों के एक किमी से अधिक पैदल सभी गांवों मे गर्भवती महिलाओं के लिए डोली सुविधा होगी। बंसल द्वारा यह धनराशि मुख्य चिकित्साधिकारी को जारी की गई है। जारी धनराशि में से तात्कालिक व्यवस्था हेतु 75-75 हजार रूपये एमओआईसी केे निर्वतन मे रखी गई है ताकि पर्वतीय क्षेत्रों कीे गर्भवती महिलाओं को डोली से लाने वाले लोगों को तुरन्त डोली व्यवस्था की धनराशि का भुगतान दो हजार रूपये प्रति डोली बिना किसी विलम्ब के हो जाए। गौरतलब है कि एनएचएम के तहत जनपद में केवल 60 डोलियों की व्यवस्था के लिए ही धनराशि स्वीकृत है लेकिन प्रसव की संवेदनशीलता को दृष्टिगत रखते हुये जिलाधिकारी ने लगभग 500 डोलियों के लिए 10 लाख धनराशि अवमुक्त कर दी है। उन्होने कहा कि गर्भवती महिलाओ को त्वरित डोली व्यवस्था का भुगतान कराने की जिम्मेदारी सम्बन्धित चिकित्साधिकारी की होगी।
जिला अधिकारी बंसल अपने जिले के दूरदराज के इलाकों में पैदल ऐसे गांव में भ्रमण के लिए चले जाते हैं जहां अभी तक सड़कें नहीं हैं, कई गांव में पहुंचने के लिए घंटों का समय लगता है।
अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित उत्तराखंड के समाचारों का एकमात्र गूगल एप फोलो करने के लिए क्लिक करें…. Mirror Uttarakhand News
( उत्तराखंड की नंबर वन न्यूज, व्यूज, राजनीति और समसामयिक विषयों की वेबसाइट मिरर उत्तराखंड डॉट कॉम से जुड़ने और इसके लगातार अपडेट पाने के लिए नीचे लाइक बटन को क्लिक करें)