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उत्तराखंड याद कर रहा है रामपुर तिराहा गोलीकांड के शहीदों को, जब पुलिस की बर्बरता ने हद पार की थी

उत्तराखंड याद कर रहा है रामपुर तिराहा गोलीकांड के शहीदों को, जब पुलिस की बर्बरता ने हद पार की थी

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by October 2, 2020 News

2 अक्टूबर 1994 की सवेरे अमर उजाला अखबार में छपा यह फोटो बयां कर रहा है कि 1 अक्टूबर की काली रात को अलग उत्तराखंड राज्य की मांग करने वाले आंदोलनकारियों के साथ रामपुर तिराहा में क्या हुआ था, इस तस्वीर में गोली लगने के बाद दम तोड़ चुके एक राज्य आंदोलनकारी को उसके साथी ले जा रहे हैं।

अलग राज्य की मांग को लेकर दिल्ली जा रहे आंदोलनकारियों को पुलिस ने चुन-चुन कर रामपुर तिराहे पर निशाना बनाया था। दरअसल पृथक राज्य की मांग को लेकर उत्तराखंड के आंदोलनकारी 24 बसों में दिल्ली में दो अक्तूबर को प्रस्तावित रैली में भाग लेने जा रहे थे। लेकिन 1 अक्टूबर की आधी रात को पुलिस के दावे के अनुसार 24 राउंड फायरिंग में सात की मौत हुई थी और 17 आंदोलनकारी जख्मी हुए थे। महिलाओं के साथ बलात्कार भी हुए।

इसके अलावा खटीमा और मसूरी में भी गोली कांड हुआ था, कुछ समय के बाद अलग से उत्तराखंड राज्य भी बन गया, लेकिन राज्य आंदोलनकारियों को नेतृत्व प्रदान करने वाले लोग अपनी अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं में कहीं खो गए। लेकिन रामपुर तिराहा गोलीकांड ने उत्तराखंड आंदोलन की आग में घी का काम किया, इस गोलीकांड के बाद उत्तराखंड में आंदोलन और तेज हो गया। इसके बाद 9 नवंबर 2000 को अलग राज्य बनने के बाद ही उत्तराखंड में आंदोलन थम गया। आज भी राज्य में उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी और शहीदों के सपनों को याद कर काफी कुछ करने की जरूरत है।

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