उत्तराखंड में चलेगा ऑपरेशन ब्लैकस्पॉट, सफल होने पर दुर्घटनाओं में होगी कमी
राज्य में सड़क दुर्घटनाओं में एक साल में सैंकड़ों लोग अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं, कई जगहों पर चालक की गलती या वाहन में खराबी इसके लिए जिम्मेदार होती है तो कई जगहों पर सड़कों पर कई तरह की खराबी, गुणवत्ता की कमी या सड़क इंजीनियरिंग में गड़बड़ के कारण ये दुर्घटनाएं होती हैं, राज्य सरकार अब सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने जा रही है, अमर उजाला अखबार की एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड में सुरक्षित यात्रा की राह में ब्लैक स्पॉट के रूप में 139 शूल स्थित हैं। इन शूलों को मिटाने के लिए प्रदेश का लोक निर्माण विभाग अब आपरेशन ब्लैक स्पॉट शुरू करने जा रहा है। इस आपरेशन के पहले चरण में विभाग सड़कों पर दुर्घटनाओं के लिए बड़ा खतरा बनें 30 ब्लैक स्पॉट हटाएगी। इन ब्लैक स्पॉट का उपाचार 2020 तक कर दिया जाएगा। इसके लिए शासन स्तर पर 18 करोड़ रुपये स्वीकृत होने जा रहे हैं।
अखबार ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि प्रदेश की सड़कों पर हर साल औसतन 950 मौतें हो रही हैं। सड़क हादसों में घायल होने वालों की तादाद इससे कई गुना अधिक है।
दुर्घटना का ब्लैक स्पॉट 139 प्रदेश की सड़कों पर
38 राष्ट्रीय
राजमार्गों पर
30 लोनिवि की सड़कों पर
67 एनएचएआई की सड़कों पर
01 बीएचईएल की सड़कों पर
03 बीआरओ की सड़कों पर
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि देहरादून
जनपद की सड़कें सबसे ज्यादा खतरनाक हैं। जनपद के भीतर स्थित राष्ट्रीय राजमार्गों
और लोक निर्माण विभाग की प्रमुख सड़कों पर प्रदेश में सबसे अधिक 50 ब्लैक स्पॉट हैं।
एनएच और लोनिवि की सड़कों पर ब्लैक स्पॉट
हरिद्वार
03
यूएस नगर 05
टिहरी
07
पौड़ी
02
नैनीताल 03
पिथौरागढ़ 01
चंपावत 02
उत्तरकाशी 03
अल्मोड़ा 02
नैनीताल 03
चमोली 02
उपरोक्त सभी आंकड़े अखबार की रिपोर्ट से लिए गये हैं। दरअसल सरकार अगर सड़क को दुर्धटनारोधी बनाती है तो इससे पहाड़ और मैदान में हो रही सड़क दुर्घटनाओं को रोकने में काफी मदद मिलेगी, वहीं वाहन चालक, यातायात नियम और वाहन की स्थिति पर भी आम लोगों और सरकार को ध्यान देने होगा।
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