Nainital केंद्रीय विद्यालय भीमताल अब ज्यादा नहीं चलेगा किराये के भवन में, जल्द यहां होगी अपनी बिल्डिंग
नैनीताल – केन्द्रीय विद्यालय भीमताल के लिए उत्तराखण्ड शासन द्वारा भूमि आवंटित कर दी गई है। गौरतलब है कि भीमताल का केन्द्रीय विद्यालय लम्बे अरसे से किराये के भवन में चल रहा है। विद्यालय निर्माण हेतु भारत सरकार द्वारा 17.90 करोड की धनराशि स्वीकृत है तथा 20 लाख कार्यदायी संस्था को अवमुक्त कर दिया गया है। केन्द्रीय विद्यालय के प्रधानाध्यापक एवं अभिभावकों द्वारा जिलाधिकारी से विद्यालय भवन निर्माण के लिए भूमि उपलब्ध कराने की मांग रखी जिसे जिलाधिकारी द्वारा पूरी संवेदनशीलता के साथ संज्ञान में लेकर 12 दिसम्बर 2019 को सचिव राजस्व उत्तराखण्ड शासन को केन्द्रीय विद्यालय भीमताल के ए-टाईप विद्यालय भवन के निर्माण हेतु भूमि आवंटन करने का प्रस्ताव भेजा था। शासन को प्रेषित प्रस्ताव मे जिलाधिकारी ने कहा था कि ग्राम पाण्डे गांव तहसील व जिला नैनीताल के नाॅन जेड ए खतौनी संख्या 57 के खसरा न0 1093 कुल रकबा 0.926 हेक्टेयर मध्य रकबा 0.250 हेक्टेयर भूमि केन्द्रीय विद्यालय भीमताल नैनीताल को निशुल्क आवंटित किये जाने की संस्तुति की जाती है। वर्तमान मे केन्द्रीय विद्यालय मे 433 छात्र-छात्रायें अध्ययरत है। विद्यालय में 27 शिक्षक तैनात हैं। विद्यालय निर्माण हेतु भारत सरकार द्वारा 17.90 करोड की धनराशि स्वीकृत है तथा 20 लाख कार्यदायी संस्था को अवमुक्त कर दिया गया है। जिलाधिकारी सविन बंसल ने बताया कि भूमि आवंटन हो जाने से शीघ्र भूमि का सीमा निर्धारण करते हुये विद्यालय भवन निर्माण प्रारम्भ करा दिया जायेगा, निर्माण कार्यो की गुणवत्ता एवं समयबद्वता की निगरानी हेतु विद्यालय की निगरानी समिति भी गठित की जायेगी।
जिलाधिकारी के प्रेषित प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए सचिव प्रभारी उत्तराखण्ड शासन द्वारा केन्द्रीय विद्यालय भीमताल के ए-टाईप भवन के निर्माण हेतु ग्राम पाण्डे गाॅव, तहसील व जिला नैनीताल की जेडए खाता खतोनी संख्या 87 के खसरा नम्बर 1093 का कुल रकबा 0.250 हैक्टेयर जिसकी कीमत 2 करोड़ रूपये है, विद्यालय भवन निर्माण हेतु आवंटित कर दी गयी है। इस सम्बन्ध में शासन द्वारा विगत जून माह में शासनादेश जारी कर दिया गया है। शासनादेश में कहा गया है कि भूमि पर कोई धार्मिक अथवा ऐतिहासिक इमारत न हो, जिस परियोजना के लिए भूमि हस्तान्तरित की जा रही है वह एक अनुमोदित परियोजना हो और उसके लिए शासन से सहमति प्राप्त हो चुकी है, यदि भूमि की आवश्यकता न हो या तीन वर्षों तक हस्तान्तरित भूमि प्रस्तावित कार्य के लिए उपयोग में नहीं लायी जाती है तो वह मूल विभाग में स्वतः ही निहित हो जायेगी।
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