उत्तराखंड सरकार को हाईकोर्ट ने लिया आड़े हाथ, पूछा नियमों के विरुद्ध मशीनों से नदी खनन की अनुमति क्यों दी
केंद्रीय वन मंत्रालय और उत्तराखंड सरकार की खनिज नियमावली में नदियों से मशीनों और पोकलैंड मशीनों के जरिए खनन को पूर्ण तरह से प्रतिबंधित किया गया है यहां केवल मैनुअली खनन किया जा सकता है। लेकिन इसके बावजूद भी उत्तराखंड सरकार के द्वारा नियमों के विरुद्ध जाकर मशीनों से खनन का शासनादेश जारी किया गया, इसको लेकर नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को आड़े हाथों लिया है।
हल्द्वानी निवासी दिनेश चंदोला की ओर से नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है जिसकी सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कड़े सवाल पूछे हैं। दिनेश चंदोला ने अपनी याचिका में कहा है कि 13 मई को राज्य के अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश की ओर से नदियों में मशीनों के जरिए खनन करने की भी अनुमति जारी की गई, जिसके बाद पौड़ी, देहरादून, नैनीताल और उधम सिंह नगर जिले में नदियों में बड़े पैमाने पर मशीनों के जरिए खनन किया जा रहा है, जिससे न सिर्फ नदी तल को नुकसान पहुंच रहा है, बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा है। याचिका में कहा गया है कि अपर मुख्य सचिव का यह आदेश केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के द्वारा बनाए गए नियमों के विरुद्ध है, साथ ही ये राज्य की खनन नियमावली के भी विरुद्ध है। याचिका की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की पीठ ने राज्य सरकार से 11 जून तक यह बताने के लिए कहा है कि क्यों नियमों के विरुद्ध जाकर मशीनों से खनन करने का शासनादेश जारी किया गया, अब देखना यह है कि न्यायालय के इस सवाल पर राज्य सरकार क्या जवाब देती है।
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