अब उत्तराखंड के भगत दा के विवेक की परीक्षा, महाराष्ट्र में नहीं बन पा रही है सरकार, पढ़ें क्या कर सकते हैं
महाराष्ट्र में सरकार नहीं बन पा रही है, बीजेपी और शिवसेना के बीच सरकार गठन को लेकर अभी तक जितनी भी बातचीत हुई है वह पूरी तरह असफल हो गई है। शिवसेना ढाई साल अपना मुख्यमंत्री बनाना चाहती है तो वहीं बीजेपी का कहना है कि उसके विधायक शिवसेना से काफी ज्यादा है इसलिए मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई समझौता नहीं हो सकता । बीजेपी शक्तिशाली मंत्री पदों को लेकर समझौता करने के लिए तैयार है , इस सबके बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस्तीफा दे दिया है और अब महाराष्ट्र के राज्यपाल और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो गई है। आगे पढ़िए भगत दा की भूमिका क्यों महत्वपूर्ण है और वो क्या कर सकते हैं….
दरअसल संवैधानिक तौर पर महाराष्ट्र में शनिवार 9 तारीख तक सरकार का गठन जरूरी है, भाजपा और शिवसेना के बीच बातचीत नहीं बन पा रही है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस और एनसीपी सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में राज्यपाल अपने विवेक का अधिकार कर अब आगे का फैसला लेंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि राज्यपाल राज्य की सबसे बड़ी पार्टियों का इंतजार तब तक कर सकते हैं जब तक कि सरकार बनाने की समय सीमा है, उसके बाद राज्यपाल को अपने विवेक के अनुसार फैसला करना होगा। राज्यपाल राज्य की सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित कर सकते हैं और उसे कुछ वक्त दे सकते हैं, ताकि वह अपना बहुमत सिद्ध कर सके। दूसरे विकल्प के तौर पर राज्यपाल राज्य की विधान सभा को सस्पेंडेड एनीमेशन के रूप में रख केंद्र से राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश भी कर सकते हैं। अब जबकि महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए लगभग 24 घंटे का ही समय बचा है, ऐसे में उत्तराखंड के भगत दा और महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी की भूमिका सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई है।
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