कृषि सुधारों से छोटे और गरीब किसानों को फायदा, विरोध और आंदोलन राजनीति का हिस्सा : पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कृषि सुधारों और किसान कानूनों पर भी अपनी बात रखी, पीएम मोदी ने कहा कि कृषि क्षेत्र में कई समस्याएं हैं, इनका समाधान करना है और समय ज्यादा इंतजार नहीं करेगा । पीएम मोदी ने कहा कि हर कानून में हम समय समय पर कोई न कोई सुधार करते रहते हैं, अच्छा करने के लिये हम सबको साथ मिलकर आगे बढ़ना चाहिये। पीएम मोदी ने कहा कि कृषि सुधारों को मौका देना चाहिये, कोई कमी हो तो उसे ठीक करेंगे। पीएम मोदी ने कहा कि मैं विश्वास दिलाता हूं कि मंडिया आधुनिक और प्रतिस्पर्धी बनेंगी. एमएसपी था और रहेगा, सस्ते में जिन लोगों को राशन दिया जाता है वो भी कंटिन्यू रहेगा। किसानों की आय बढ़ाने के दूसरे तरीकों पर भी बल देना चाहिये। पीएम मोदी ने कहा कि हम अगर देर कर देंगे और राजनीतिक समीकरणों के कारण विरोध करेंगे तो किसान अंधकार में चले जायेंगे ।
पीएम मोदी ने कहा कि राज्यसभा में बहस के दौरान कई बातें की गई लेकिन किस बात को लेकर आंदोलन है सब मौन थे। प्रधानमंत्री ने बताया कि देश में ऐसे किसान जिनके पास 1 हेक्टेयर से भी कम जमीन है 61 प्रतिशत हैं। कुल मिलाकर 86 फीसदी किसानों के पास दो हेक्टेयर से भी कम जमीन है, एक वक्त पर चौधरी चरण सिंह ने सवाल उठाया था कि हमें इन किसानों की चिंता करनी होगी । पीएम मोदी ने कहा कि कर्जमाफी में छोटे किसानों को कुछ नहीं मिलता था, फसल बीमा की गारंटी भी छोटे किसानों को नहीं मिलती थी पहले, सिंचाई की सुविधा भी छोटे किसानों को नहीं मिलती थी, छोटे किसान को यूरिया भी नहीं मिलता था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 के बाद फसल बीमा योजना का दायरा बढ़ाया, नब्बे हजार करोड़ के क्लेम किसानों को मिले, हर किसान को किसान क्रेडिट कार्ड दिये, हम प्रधानमंत्री सम्मान निधि योजना लाये , जिसमें गरीब किसान को लाभ मिला। सॉयल हैल्थ कार्ड, यूरिया नीम कोटिंग, छोटे और सीमांत किसानों के लिये पेंशन की सुविधा लाये, पीएम ग्राम सड़क योजना, किसान रेल से गांव के छोटे किसानों को फायदा, किसान उड़ान के द्वारा छोटे किसानों को फायदा हुआ। हर कोई सुधार चाहता है, हम कर रहे हैं आगे और संशोधन हो सकते हैं लेकिन राजनीति इतनी हावी होती है कि अपने ही विचारों का विरोध कर रहे हैं। मनमोहन सिंह ने किसान को उपज बेचने की आजादी और भारत को एक कृषि बाजार देने की वकालत की थी वही तो हम कर रहे हैं। जो लोग राजनीतिक बयानबाजी करते हैं उनकी राज्य सरकारों में भी लोगों ने आधा अधूरा ही सही पर यही करने की कोशिश की है । पीएम मोदी ने कहा कि हरित क्रांति के समय जो आशंकाएं और आंदोलन हुए, तब भी विरोध हुआ था, योजना आयोग और कैबिनेट ने भी विरोध किया, लैफ्ट तब भी लाल बहादुर शास्त्री का विरोध करता था, लेकिन इसके बाद भी सरकारों ने जो किया उसी का परिणाम है कि आज देश की कृषि आत्मनिर्भर है। पीएम मोदी ने कहा कि हमें आंदोलनकारियों को समझाते हुए हमें आगे बढ़ना चाहिये, कृषिमंत्री लगातार किसानों से बात कर रहे हैं । हम प्रार्थना करते हैं कि आंदोलनकारी बुजुर्गों को घर ले जाएं, हम मिल बैठकर चर्चा करेंगे आगे बढ़ेंगे, खेती को खुशहाल करने के लिये ये फैसले लेने का समय है, हमें आगे बढ़ना चाहिये ।
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