Mann ki Baat, पीएम मोदी बोले, आज जब देश विकसित होने के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है, तो हमें समाज को सशक्त करने के प्रयास और बढ़ाने चाहिए
28 May. 2023. New Delhi. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम के जरिए कार्यक्रम की 101 वीं कड़ी में देशवासियों को संबोधित किया। कार्यक्रम की शुरुआत में प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बार ‘मन की बात’ का ये एपिसोड 2nd century का प्रारंभ है। पिछले महीने हम सभी ने इसकी special century को Celebrate किया है। आपकी भागीदारी ही इस कार्यक्रम की सबसे बड़ी ताकत है। 100वें एपिसोड के Broadcast के समय एक प्रकार से पूरा देश एक सूत्र में बंध गया था। हमारे सफाईकर्मी भाई-बहन हों या फिर अलग-अलग sectors के दिग्गज, ‘मन की बात’ ने सबको एक साथ लाने का काम किया है। आप सभी ने जो आत्मीयता और स्नेह ‘मन की बात’ के लिए दिखाया है वो अभूतपूर्व है, भावुक कर देने वाला है। जब ‘मन की बात’ का प्रसारण हुआ, तो उस समय दुनिया के अलग-अलग देशों में अलग-अलग Time zone में, कहीं शाम हो रही थी तो कहीं देर रात थी, इसके बावजूद बड़ी संख्या में लोगों ने 100वें एपिसोड को सुनने के लिए समय निकाला।
वही कार्यक्रम में वीर सावरकर को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज 28 मई को महान स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर जी की जयंती है। उनके त्याग, साहस और संकल्प-शक्ति से जुड़ी गाथाएँ आज भी हम सबको प्रेरित करती हैं। वीर सावरकर का व्यक्तित्व दृढ़ता और विशालता से समाहित था। उनके निर्भीक और स्वाभिमानी स्वाभाव को गुलामी की मानसिकता बिल्कुल भी रास नहीं आती थी। स्वतंत्रता आंदोलन ही नहीं, सामाजिक समानता और सामाजिक न्याय के लिए भी वीर सावरकर ने जितना कुछ किया उसे आज भी याद किया जाता है।
पीएम मोदी ने कहा कि देश में कई युवा अगर innovation और technology के जरिए काम कर रहे हैं तो कई युवा ऐसे भी हैं जो समाज को जागरूक करने के mission में भी लगे हुए हैं जैसे कि छत्तीसगढ़ में बालोद जिले के युवा हैं। यहाँ के युवाओं ने पानी बचाने के लिए एक अभियान शुरु किया है। ये घर-घर जाकर लोगों को जल-संरक्षण के लिए जागरूक करते हैं। कहीं शादी-ब्याह जैसा कोई आयोजन होता है तो युवाओं का ये group वहां जाकर पानी का दुरूपयोग कैसे रोका जा सकता है, इसकी जानकारी देता है। पानी के सदुपयोग से जुड़ा एक प्रेरक प्रयास झारखंड के खूंटी जिले में भी हो रहा है। खूंटी में लोगों ने पानी के संकट से निपटने के लिए बोरी बांध का रास्ता निकाला है। बोरी बांध से पानी इकट्ठा होने के कारण यहां साग-सब्जियां भी पैदा होने लगी हैं। इससे लोगों की आमदनी भी बढ़ रही है और इलाके की जरूरतें भी पूरी हो रहीं हैं। जनभागीदारी का कोई भी प्रयास कैसे कई बदलावों को साथ लेकर आता है, खूंटी इसका एक आकर्षक उदाहरण बन गया है।
कार्यक्रम में पीएम मोदी ने बताया कि 1965 के युद्ध के समय, हमारे पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने जय जवान, जय किसान का नारा दिया था। बाद में अटल जी ने इसमें जय विज्ञान भी जोड़ दिया था। कुछ वर्ष पहले देश के वैज्ञानिकों से बात करते हुए मैंने जय अनुसंधान की बात की थी। ‘मन की बात’ में आज बात एक ऐसे व्यक्ति की, एक ऐसी संस्था की, जो जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान, इन चारों का ही प्रतिबिंब है। ये सज्जन हैं, महाराष्ट्र के शिवाजी शामराव डोले जी। शिवाजी डोले, नासिक जिले के एक छोटे से गाँव के रहने वाले हैं। वो गरीब आदिवासी किसान परिवार से आते हैं, और, एक पूर्व सैनिक भी हैं। फौज में रहते हुए उन्होंने अपना जीवन देश के लिए लगाया।Retire होने के बाद उन्होंने कुछ नया सीखने का फैसला किया और Agriculture में Diploma किया, यानी,वो, जय जवान से, जय किसान की तरफ बढ़ चले। अब हर पल उनकी कोशिश यही रहती है कि कैसे कृषि क्षेत्र में अपना अधिक से अधिक योगदान दें। अपने इस अभियान में शिवाजी डोले जी ने 20 लोगों की एक छोटी-सी Team बनाई और कुछ पूर्व सैनिकों को भी इसमें जोड़ा। इसके बाद उनकी इस Team ने Venkateshwara Co-Operative Power & Agro Processing Limitedनाम की एक सहकारी संस्था का प्रबंधन अपने हाथ में ले लिया।ये सहकारी संस्था निष्क्रिय पड़ी थी, जिसे revive करने का बीड़ा उन्होंने उठाया। देखते ही देखते आज Venkateshwara Co-Operative का विस्तार कई जिलों में हो गया है। आज ये team महाराष्ट्र और कर्नाटका में काम कर रही है। इससे करीब 18 हजार लोग जुड़े हैं, जिनमें काफी संख्या में हमारे Ex-Servicemen भी हैं। नासिक के मालेगाँव में इस team के सदस्य 500 एकड़ से ज्यादा जमीन में Agro Farming कर रहे हैं। ये team जल संरक्षण के लिए भी कई तालाब भी बनवाने में जुटी है। खास बात यह है कि इन्होंने Organic Farming और Dairy भी शुरू की है। अब इनके उगाए अंगूरों को यूरोप में भी export किया जा रहा है। इस team की जो दो बड़ी विशेषतायें हैं, जिसने मेरा ध्यान आकर्षित किया है, वो ये है – जय विज्ञान और जय अनुसंधान। इसके सदस्य technology और Modern Agro Practices का अधिक से अधिक उपयोग कर रहे हैं। दूसरी विशेषता ये है कि वे export के लिए जरुरी कई तरह के certifications पर भी focus कर रहे हैं। ‘सहकार से समृद्धि’ की भावना के साथ काम कर रही इस team की मैं सराहना करता हूँ। इस प्रयास से ना सिर्फ बड़ी संख्या में लोगों का सशक्तिकरण हुआ है, बल्कि, आजीविका के अनेक साधन भी बने हैं। पीएम ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि यह प्रयास ‘मन की बात’ के हर श्रोता को प्रेरित करेगा।
प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम में बताया कि देश में पानी बचाने के लिए 50,000 से ज्यादा अमृत सरोवरों का निर्माण हो चुका है, उन्होंने जल संरक्षण से जुड़े स्टार्ट अप का भी जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि हमारे देश में देखने के लिए बहुत कुछ है। इसी को देखते हुए Education Ministry ने ‘युवासंगम’ नाम से एक बेहतरीन पहल की है। इस पहल का उद्देश्य People to People Connect बढ़ाने के साथ ही देश के युवाओं को आपस में घुलने-मिलने का मौका देना। विभिन्न राज्यों के उच्च शिक्षा संस्थानों को इससे जोड़ा गया है। ‘युवासंगम’ में युवा दूसरे राज्यों के शहरों और गावों में जाते हैं, उन्हें अलग-अलग तरह के लोगों के साथ मिलने का मौका मिलता है। युवासंगम के First Round में लगभग 1200 युवा, देश के 22 राज्यों का दौरा कर चुके हैं। जो भी युवा इसका हिस्सा बने हैं, वे अपने साथ ऐसी यादें लेकर वापस लौट रहे हैं, जो जीवनभर उनके ह्रदय में बसी रहेंगी। हमने देखा है किकई बड़ी कंपनियों के CEO, Business leaders, उन्होंने Bag-Packers की तरह भारत में समय गुजारा है। मैं जब दूसरे देशों के Leaders से मिलता हूँ, तो कई बार वो भी बताते हैं कि वो अपनी युवावस्था में भारत घूमने के लिए गए थे। हमारे भारत में इतना कुछ जानने और देखने के लिए है कि आपकी उत्सुकता हर बार बढ़ती ही जाएगी। मुझे उम्मीद है कि इन रोमांचक अनुभवों को जानकर आप भी देश के अलग-अलग हिस्सों की यात्रा के लिए जरुर प्रेरित होंगे।
पीएम मोदी ने कहा कि कुछ दिन बाद 4 जून को संत कबीरदास जी की भी जयंती है। कबीरदास जी ने जो मार्ग हमें दिखायाहै, वो आज भी उतना ही प्रासंगिक है। कबीरदास जी कहते थे,“कबीरा कुआँ एक है, पानी भरे अनेक।बर्तन में ही भेद है, पानी सब में एक।” यानी कुएं पर भले भिन्न-भिन्न तरह के लोग पानी भरने आए, लेकिन, कुआँ किसी में भेद नहीं करता, पानी तो सभी बर्तनों में एक ही होता है। संत कबीर ने समाज को बांटने वाली हर कुप्रथा का विरोध किया, समाज को जागृत करने का प्रयास किया। आज जब देश विकसित होने के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है, तो हमें संत कबीर से प्रेरणा लेते हुए समाज को सशक्त करने के अपने प्रयास और बढ़ाने चाहिए।
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