जी-20 शिखर सम्मेलन समाप्त, पीएम मोदी बोले आज हर वैश्विक संस्था को अपनी प्रासंगिकता बढ़ाने के लिए रिफॉर्म करना आवश्यक है
10 September. 2023. New Delhi. दिल्ली के प्रगति मैदान में दो दिन से चल रहा जी-20 शिखर सम्मेलन समाप्त हो गया है, समापन कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-20 की अध्यक्षता ब्राजील को सौंपी, इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ब्राज़ील को हम पूरा सहयोग देंगे और हमें विश्वास है कि उनके नेतृत्व में G-20 हमारे साझा लक्ष्यों को और आगे बढ़ाएगा।
पीएम मोदी ने कहा कि भारत के पास नवंबर तक G-20 प्रेसीडेंसी की जिम्मेदारी है। अभी ढाई महीने बाकी हैं। पीएम मोदी ने कहा कि “इन दो दिनों में आप सभी ने अनेक बातें यहां रखी हैं, सुझाव दिए हैं, बहुत सारे प्रस्ताव रखे हैं। हमारी ये ज़िम्मेदारी है कि जो सुझाव आए हैं, उनको भी एक बार फिर देखा जाए कि उनकी प्रगति में गति कैसे लाई जा सकती है। मेरा प्रस्ताव है कि हम नवंबर के अंत में G-20 समिट का एक वर्चुअल सेशन और रखें। उस सेशन में हम इस समिट के दौरान तय विषयों की समीक्षा कर सकते हैं।”
इससे पहले एक अन्य सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि “मैंने GDP सेंट्रिक अप्रोच के बजाय Human Centric Vision पर निरंतर आपका ध्यान आकर्षित किया है।आज भारत जैसे अनेक देशों के पास ऐसा कितना कुछ है जो हम पूरे विश्व के साथ साझा कर रहे हैं। भारत ने चंद्रयान मिशन के डेटा को मानव हित में सबके साथ शेयर करने की बात की है। ये भी Human Centric ग्रोथ को लेकर हमारे कमिटमेंट का प्रमाण है।भारत ने टेक्नॉलॉजी को इंक्लूसिव डेवलपमेंट के लिए लास्ट माइल डिलिवरी के लिए उपयोग किया है। हमारे छोटे से छोटे गाँव में छोटे से छोटा व्यापारी भी डिजिटल पेमेंट्स कर रहा है। मुझे खुशी है कि भारत की अध्यक्षता में Digital Public Infrastructure के लिए मजबूत फ्रेमवर्क पर सहमति बनी है। इसी तरह, “G20 Principles on Harnessing Data for Development” को भी स्वीकार किया गया है। ग्लोबल साउथ के विकास के लिए “Data for Development Capacity Building Initiative” को लॉन्च करने का निर्णय भी लिया है।भारत की प्रेसीडेंसी में Startup 20 engagement ग्रुप का गठन भी एक बड़ा कदम है।”
पीएम मोदी ने कहा कि विश्व को एक बेहतर भविष्य की तरफ ले जाने के लिए ये जरूरी है कि वैश्विक व्यवस्थाएं वर्तमान की वास्तविकताओं के मुताबिक हों। आज “संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद” भी इसका एक उदाहरण है। जब UN की स्थापना की गयी थी उस समय का विश्व आज से बिलकुल अलग था। उस समय UN में 51 फाउंडिंग मेंबर्स थे। आज UN में शामिल देशों की संख्या करीब 200 हो चुकी है। बावजूद इसके UNSC में स्थाई सदस्य आज भी उतने ही हैं। तब से आज तक दुनिया हर लिहाज़ से बहुत बदल चुकी है। ट्रांसपोर्ट हो, कम्यूनिकेशन हो, हेल्थ, एजुकेशन, हर सेक्टर का कायाकल्प हो चुका है। ये new realities हमारे new global structure में reflect होनी चाहिए। ये प्रकृति का नियम है कि जो व्यक्ति और संस्था समय के साथ स्वयं में बदलाव नहीं लाती है वो अपनी प्रासंगिकता खो देती है। हमें खुले मन से विचार करना होगा कि आखिर क्या कारण है कि बीते वर्षों में अनेक रीजनल फोरम्स अस्तित्व में आए हैं और वो प्रभावी भी सिद्ध हो रहे हैं। आज हर वैश्विक संस्था को अपनी प्रासंगिकता बढ़ाने के लिए Reform करना आवश्यक है। इसी सोच के साथ हमने कल ही अफ्रीकन यूनियन को G-20 का स्थाई सदस्य बनाने की ऐतिहासिक पहल की है। इसी तरह हमें Multilateral Development Banks के मैंडेट का विस्तार भी करना होगा।इस दिशा में हमारे फैसले immediate भी होने चाहिए और effective भी होने चाहिए।
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