देखिये ‘ फूल देई ‘ का त्योहार अमेरिका में, परंपरा को यहां भी जीवित रखा है प्रवासी उत्तराखंडियों ने
उत्तराखण्ड के लोक पर्व ‘फूल देई छम्मा देई’ की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई। उत्तराखंड की धरती पर अलग-अलग ऋतुओं के अनुसार पर्व-त्योहार मनाए जाते हैं,ये पर्व एक ओर हमारी संस्कृति को उजागर करते हैं, तो दूसरी ओर प्रकृति के प्रति पहाड़ के लोगों के सम्मान और प्यार को भी दर्शाते हैं, इसके अलावा पहाड़ की परंपराओं को कायम रखने के लिए भी ये पर्व-त्योहार खास हैं।
इस त्योहार को फूल संक्रांति भी कहा जाता है, इसका सीधा संबंध प्रकृति से है, इस समय चारों ओर छाई हरियाली और नाना प्रकार के खिले फूल प्रकृति के यौवन में चार चांद लगाते हैं हिन्दू कैलेंडर के अनुसार चैत्र महीने से ही नव वर्ष शुरू होता है I इस नव वर्ष के स्वागत के लिए खेतों में सरसों खिली है तो पेड़ों में फूल भी आने लगे हैं चैत्र महीने के पहले दिन बच्चे लोगों के घरों में जाकर उनकी दहलीज पर फूल चढ़ाते हैं और सुख-शांति की कामना करते हैं, इसके बदले में उन्हें परिवार के लोग गुड़, चावल व रुपये देते हैं ।
मेष संक्रांति कुमाऊं में फूल संक्रांति के नाम से भी जानी जाती है,फूल देई की परंपरा को मनाने के लिए चैत्र महीने के पहले दिन से एक दिन पहने ही बच्चे फूल चुनकर ले आते हैं और नव वर्ष के पहले दिन बच्चे इसे टोकरी व थाली में लेकर घर-घर पहुंचते हैं, इस दिन लोगों के घरों से मिले चावल से शाम को हलवा भी बनाया जाता है, पर्व के मौके पर बच्चे एक गीत भी गाते हैं,इस गीत को शुभकामनाओं के रूप में गाया जाता है
_फूल देई छम्मा देई
देनी द्वार भर भकार
तेरी देई नमस्कार_
अमेरिका में भी वहां रह रहे उत्तराखंड के लोगों ने अपनी इस परंपरा को निभाया, वर्जीनिया प्रांत का ये वीडियो देखें….
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Rajeev, Mirror News