आचार संहिता खत्म होने के बाद त्रिवेंद्र सरकार की पहली कैबिनेट बैठक, त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव हैं निशाने पर
लोकसभा चुनाव की आचार संहिता खत्म होने के बाद मंगलवार को उत्तराखंड की त्रिवेंद्र रावत सरकार की पहली कैबिनेट बैठक हुई, इसमें एक दर्जन से भी ज्यादा महत्वपूर्ण फैसले लिए गए । महत्वपूर्ण फैसलों में….
–उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए पर्वतीय क्षेत्रों में 125 एकड़ से अधिक भूमि की खरीद और लीज की अनुमति देने का निर्णय लिया गया है। कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, उद्यान और संबंधी प्रॉजेक्ट के लिए यह छूट मिलेगी।
–राज्य के वेलनेस सेंटर्स पर संविदा फार्मासिस्टों की भर्ती की संख्या बढ़ा दी गई है। पहले के 600 के बजाय अब 2000 पदों पर नए सिरे से भर्ती की जाएगी।
–राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) के तहत नियोक्ता के हिस्से को 10 फीसदी से बढ़ाकर 14 फीसदी किया गया है। दून विशेष क्षेत्र विकास परिषद (साडा) का विलय एमडीडीए में कर दिया गया है।
–चीड़ की पत्तियों (पिरूल) को एकत्र करने पर वन विभाग एक रुपये प्रति किलो के हिसाब से वन पंचायतों, स्वयं सहायता समूहों, महिला मंगल दल आदि को भुगतान करेगा।
— कौलागढ़ में वन विभाग को दी जाने वाली 56197 हेक्टेयर भूमि में से 28 हेक्टेयर सिंचाई विभाग ने वापस कर दी है। बाकी जमीन से 400 परिवारों को बेदखल किया जाना है।
कुल मिलाकर त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार अब पूरी तरह सक्रिय हो चुकी है क्योंकि जल्द ही राज्य में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होने हैं। जहां मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की असल परीक्षा होगी। दरअसल लोकसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर लड़ा गया था और अब पंचायत चुनाव में मुख्य तौर पर स्थानीय मुद्दे और राज्य सरकार के कामकाज को ही आगे रखा जाएगा। इसको देखते हुए त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार अब जनहित के फैसले लेने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती।
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