उत्तराखंड : घने जंगल में करवाना पड़ा महिला का प्रसव, अब मानवाधिकार आयोग ने रिपोर्ट तलब की
उत्तराखंड के पहाड़ों और खासकर दूरदराज के इलाकों में जीवन काफी कठिन होता है, इसका एक उदाहरण देखने को मिला उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के धारचूला तहसील के गोरीछाल इलाके के मैतिली गांव में। यहां अस्पताल ले जाते वक्त एक महिला का घने जंगल में प्रसव कराना पड़ा, दरअसल गांव से मुख्य सड़क तक पहुंचने के लिए 15 किलोमीटर का पहाड़ी पैदल रास्ता तय करना पड़ता है, जिसके बीच में जंगल पड़ता है।
दरअसल गोरीछाल गांव की निवासी रेखा देवी (21) पत्नी हरीश सिंह को प्रसव पीड़ा शुरू हुई। इस पर गांव की स्वयं सहायता समूह की महिलाएं गर्भवती को स्ट्रेचर में रखकर सीएचसी धारचूला ले जाने लगे। गांव में सड़क नहीं है, इससे ग्रामीणों को मुख्य सड़क तक पहुंचने के लिए 15 किमी उबड़-खाबड़ रास्ते में पैदल चलना पड़ता है। महिलाएं जब गांव से पांच किमी दूर पहुंची थीं तो गर्भवती को प्रसव पीड़ा बढ़ने लगी। इस पर महिलाओं ने रास्ते में ही प्रसव कराना निर्णय लिया। उन्होंने महिला का सफल प्रसव कराया और बाद में जच्चा-बच्चा को घर ले आए। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि चामी स्वास्थ्य उपकेंद्र में गर्भवती महिलाओं की देखरेख के लिए शासन से एक एएनएम और तीन आशाएं नियुक्त की हुई हैं। लेकिन वह अक्सर नदारद ही रहती हैं।
इस मामले में अब मानवाधिकार आयोग ने जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग से जवाब मांगा है। आयोग ने पिथौरागढ़ के जिलाधिकारी और सीएमओ को नोटिस भेजा है। आयोग के सदस्य न्यायमूर्ति अखिलेश चन्द्र शर्मा ने इस मामले को बेहद गंभीर माना है।
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